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ALMORA NEWS: किसानी में नामी रहा है असिंचित क्षेत्र लोहाली, किसानों की हाड़तोड़ मेहनत से फलोत्पादन व सब्जी उत्पादन पर लगे चार चांद

सीएनई रिपोर्टर, गरमपानी (नैनीताल)

जनपद नैनीताल के कोश्यांकुटौली तहसील एवं बेतालघाट ब्लाक का लोहाली क्षेत्र किसानी के लिए मशहूर है। यह क्षेत्र फलोत्पादन, सब्जी उत्पादन व अनाज उत्पादन में खासा दबदबा रखता है। खासियत ये है कि सिर्फ वर्षा जल पर निर्भर रहकर काश्तकारों की कड़ी मेहनत रंग लाती है। इस कारण कई बार सूखे के हालात किसानों की मेहनत पर पानी फेर देते हैं। किसान मेहनत तो करता है, मगर यदि समय पर फसलों को बारिश नहीं मिली, तो उनके माथे पर चिंता की लकीरें खिंच जाती है।
लोहाली क्षेत्र के अंतर्गत लोहाली, आटाखास, बसानी, उलगौर, धारी, आटावृत्ता इत्यादि गांव आते हैं। जहां कृषि की विशेषता है कि कतिपय फलों व फसलों को छोड़कर आम तौर पर इस क्षेत्र में फलों, सब्जियों, अनाज व दालों का बहुतायत उत्पादन होता है, जबकि यह पूरा इलाका असिंचित है। किसान रात—दिन फलोत्पादन व सब्जी उत्पादन में हाड़तोड़ मेहनत करते हैं। प्रेरणादायी यह भी है कि इस क्षेत्र में महिला व पुरुष खेतों में कृषि कार्य मिलकर करते हैं। किसान हाड़तोड़ मेहनत तो करते हैं, मगर असिंचित क्षेत्र होने के कारण कई बार सूखे का सामना किसानों को करना पड़ता है। समय पर बारिश नहीं मिलने या असमय अत्यधिक बारिश होने पर सारी फसल प्रभावित हो जाती है, जिससे किसानों को भारी क्षति उठानी पड़ती है और अपनी मेहनत पर मलाल होता है। सटीक समय में जरूरत के मुताबिक बारिश मिलने पर अच्छी फसल भी होती है। इस बीच क्षेत्र के खेतों में प्रमुखत: मटर की खेती लहलहा रही है। मगर किसानों की चिंता ये है कि समय पर जरूरत के मुताबिक बारिश नहीं मिल पाई। जिससे पैदावार प्रभावित होने की आशंका है। इस बीच मटर की सब्जी को पानी की अत्यंत जरूरत है। मगर बारिश नहीं मिल पाई। जिससे फसल को बचाने के लिए किसान पेयजल स्रोत से उपलब्ध पानी से पाइपों द्वारा सिंचाई करने का मजबूर हैं।
ये हैं क्षेत्र की फसलें: प्रमुख फल— नीबू, संतरा, आड़ू, खुमानी, पुलम, सेव, आम व लीची आदि। प्रमुख सब्जियां— मिर्च, टमाटर, गोभी, मटर, आलू, लाई, पालक, मूली, गडेरी आदि। प्रमुख फसलें— गेहूं, धान, जौ, मड़ुवा। (हालांकि अब किसानों का रूझान ​फलोत्पादन व सब्जी उत्पादन पर ज्यादा है। विविध कारणों से फसल उत्पादन में पहले की तुलना में काफी कमी आ गई है।)
सुअरों का आतंक मुसीबत— क्षेत्र में अब सुअरों के झुंडों का दबदबा बढ़ चला है। जो खेतों को रौंदने में देर नहीं करते। सुअरों के आतंक से किसान बेहद चिंतित रहते हैं।

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