हल्द्वानी। तीनों काले कृषि कानूनों की वापसी सहित सात सूत्री मांगों पर किसान संगठनों के राष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त फोरम “अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति” के आह्वान पर आगामी 8 दिसंबर के भारत बंद को भाकपा (माले) ने सक्रिय समर्थन देने का निर्णय किया है। भाकपा-माले की ओर से नैनीताल जिला सचिव डॉ. कैलाश पाण्डेय ने बयान जारी करके यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि, “पहले तो मोदी सरकार ने दमन अभियान चलाकर किसानों को डराना चाहा, फिर तरह-तरह का दुष्प्रचार अभियान चलाया गया और अब वार्ता का दिखावा किया जा रहा है। सरकार के दमनात्मक व नकारात्मक रुख के कारण अब तक तीन किसानों की मौत हो चुकी है। दो दौर की हुई वार्ता असफल हो चुकी है क्योंकि सरकार कानूनों को वापस लेने की मांग पर तैयार नहीं है। ये कानून पूरी तरह से खेती-किसानी को चौपट कर देने वाले तथा खेती को कॉरपोरेट घरानों के हवाले कर देने वाले हैं। देश के किसान इन कानूनों को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे। पंजाब से आरंभ हुआ आंदोलन अब देश के दूसरे हिस्सों में भी फैल रहा है। सरकार को यह असंवैधानिक कानून रद्द करना ही होगा।”
माले नेता ने कहा कि, “भारत बंद में तीनों काले कृषि कानूनों को रद्द करने के साथ-साथ प्रस्तावित बिजली बिल की वापसी, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी दर पर फसल खरीद की गारंटी, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने की भी मांग प्रमुखता से उठाई जाएगी।”
डॉ. कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “उत्तराखंड में त्रिवेन्द्र रावत की भाजपा सरकार की नीतियों के चलते राज्य की खेती चौपट और किसानों की फसलें बर्बाद हो रही हैं, लेकिन भाजपा सरकार ने कभी भी इसकी चिंता नहीं की।” हमारी मांग है कि, “सरकार तत्काल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सभी किसानों के धान खरीद की गारंटी करे।”
भाकपा (माले) जिला कमेटी ने जनता से अपील करते हुए कहा कि, “कृषि प्रधान देश में यदि किसान ही नहीं बचेंगे, तो देश कैसे बचेगा? इसलिए समाज के सभी लोग इस आंदोलन का समर्थन करें और इसका विस्तार शहरों कस्बों से लेकर दूर-दराज के गांवों तक करें।