Udham Singh NagarUttarakhand

क्योंकि भगत सिंह नहीं मरा करते हैं……

भगत सिंह जो बचपन से ही, सर पेट काट लाहौरी थे,
लोहड़ी का त्यौहार मनाते, और जग के बहुत आभारी थे..
पर बारह वर्ष के बालक को फिर, क्रूर डायर ने जगा दिया..
प्रतिशोध के खातिर एक, सांडर्स को जग से भगा दिया…
बात शुरू हुई, जलियाँ जी के बाग से,
क्रांति की फिर अलख जगा, स्वाधीनता की आग से….l
फिर जला क्रांति की ज्वाला, पहन पड़े ज़ब कफ्नों की माला,
आजाद जी का साथ मिला ज़ब,तब बिस्मिल भी साथ आया करते हैं,
क्योंकि हजार फासियों के बाद भी, भगत सिंह नहीं मरा करते हैं…….!
और सुखदेव भी तुम्हारे सगे थे, अंग्रेजों पर भी भारी थे,
और वे भगत सिंह जो…. बचपन से ही, सर पेट काट लाहौरी थे……
आज फिर जरूरत है तेरी, सुनले अरज आके तू मेरी,
आ फिर मसाल जला, बोल इंकलाब,
साथ हैं हम आज भी तेरे, क्रांति का फिर ला सैलाब……
आज भी लाखों भक्त तेरे, नमन तुझे ही करते हैं,
क्योंकि हजार फासियों के बाद भी, भगत सिंह नहीं मरा करते हैं….

सुशील रस्तोगी (7017959078) किच्छा (ऊ. सिं. नगर)

किच्छा न्यूज़ : कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भगत की जयंती पर किया याद

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