इंडिया गेट का नाम भारत माता द्वार करने की मांग, मोदी को लिखी चिट्ठी

नई दिल्ली | भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने इंडिया गेट का नाम बदलकर भारत माता द्वार करने की मांग की है।…

इंडिया गेट का नाम भारत माता द्वार करने की मांग, मोदी को लिखी चिट्ठी

नई दिल्ली | भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने इंडिया गेट का नाम बदलकर भारत माता द्वार करने की मांग की है। जमाल ने प्रधानमंत्री मोदी के नाम एक चिट्ठी लिखी, जिसमें कहा है कि नाम बदलना देश के 10 हजार शहीद जवानों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

जमाल ने कहा, ‘आपने क्रूर मुगल के नाम पर बनी औरंगजेब रोड का नाम डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम रोड किया। इंडिया गेट पर लगी जॉर्ज पंचम की मूर्ति हटाकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति लगाई। राजपथ का नाम कर्तव्य पथ करवाया। उसी तरह इंडिया गेट का नाम बदलकर भारत माता द्वार करवाएं।’

पहले विश्वयुद्ध में शहीद भारतीयों की याद में बना इंडिया गेट

इंडिया गेट राजधानी दिल्ली में बना वॉर मेमोरियल है। इसे प्रथम विश्व युद्ध और अफगान युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया था। 1914-1921 के दौरान हुए पहले विश्व युद्ध और तीसरे अफगान युद्ध में 70 हजार से ज्यादा भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। इंडिया गेट पर 13 हजार 516 सैनिकों के नाम उकेरे हुए हैं। उनमें से कई ब्रिटिश भारत के सैनिक थे। इंडिया गेट 1921 में बनना शुरू हुआ था और 1931 में पूरा हुआ। इसे ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियंस ने डिजाइन किया था। इंडिया गेट की ऊंचाई 42 मीटर है। इसे लाल और हल्के पीले बलुआ पत्थरों से बनाया गया है।

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति को जोड़ा गया। यह एक अनंत जलती रहने वाली ज्योति है, जो गुमनाम सैनिकों की स्मृति में जलती रहती है। इसके ऊपरी हिस्से में INDIA लिखा हुआ है और उसके नीचे शिलालेख है, जिसमें शहीद सैनिकों के बलिदान के बारे में लिखा है। इंडिया गेट भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और उसके बाद के बलिदानों का प्रतीक है। 2019 में इंडिया गेट के पास सशस्त्र बलों के शहीदों के सम्मान में एक नया नेशनल मेमोरियल बनाया गया है।

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