👉 न्यायालय से सदस्यता बहाल होने के बाद प्रेस से हुए मुखातिब
सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर: बागेश्वर के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष एवं शामा सीट से जिला पंचायत सदस्य हरीश ऐठानी ने कहा है कि सच्चाई परेशान जरूरी हो सकती है, किंतु उसकी हार नहीं हो सकती। यह बात उन्होंने न्यायालय से उनकी सदस्यता बहाल होने के बाद प्रेसवार्ता में कही। उन्होंने कहा कि उनकी सदस्यता को भाजपा सरकार ने राजनैतिक द्धेषभावना से रद्द किया था, जिसे लेकर उन्होंने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और न्यायालय ने उनके पक्ष में निर्णय देकर दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया। न्यायालय का यह निर्णय उन लोगों के लिए भी सबक का काम करेगी, जो लोकतंत्र पर भरोसा नहीं रखते हैं।
कुमाउं मंडल विकास निगम विश्राम गृह में आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि वह वर्ष 2014 में जनता द्वारा जिला पंचायत सदस्य के रूप में चुने गए। उसके बाद वह जिला पंचायत अध्यक्ष बने। तब उन्हें तथा उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा समर्थित सदस्य को दस-दस मत मिले थे। बाद में लॉटरी सिस्टम में से वह अध्यक्ष बने, किंतु हारे हुए सदस्य से इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी। वहां से उनके पक्ष में निर्णय आया और उन्होंने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। बाद में सरकार ने उनके खिलाफ वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाया। जिसकी जांच कमीश्नर से लेकर सरकार ने भी कराई, जांच में उन पर लगे आरोप निराधार साबित हुए। यह जांच 2018 में पूरी हुई।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 के चुनाव में वह शामा और उनकी पत्नी वंदना बड़ेत सीट से जिला पंचायत सदस्य चुनी गई। इससे भाजपा और उनकी सरकार तिलमिला गई। राजनैतिक द्धेषभावना ने उनकी सदस्यता रद करने का षडयंत्र रचा गया। इसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली, जहां से उन्हें न्याय मिला है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार का काम सिर्फ जनता द्वारा चुने प्रतिनिधियों की सदस्यता खत्म करने का रह गया है, लेकिन भारत का लोकतंत्र इतना कमजोर नहीं, जो इनके मंसूबों को पूरा होने देगा। अब न्यायालय ने दूध का दूध पानी और पानी का पानी कर दिया है। इस मौके पर कांग्रेस जिलाध्यक्ष भगवत डसीला, पूर्व अध्यक्ष लोकमणि पाठक, पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण, कपकोट नगर पंचायत अध्यक्ष गोविंद बिष्ट आदि मौजूद रहे।