आमा की 40 साल पहले मांगी मनोकामना हुई पूर्ण, त्यागा पशुबलि का निर्णय

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
80 years old Raghuli Devi gave up the decision of animal sacrifice/40 वर्ष पहले घर-परिवार में खुशहाली की कामना को लेकर मांगी गई मनोकामना मां स्याही देवी की कृपा से जब पूर्ण हुई तो 80 साल की आमा रघुली देवी की अंतर चेतना भी जागृत हो गई। उन्होंने कामना परिपूर्ण होने पर मंदिर में पशुबलि का संकल्प लिया था, लेकिन आमा ने सत्य को समझा और अपना निर्णय वापस लेते हुए सात्विक पूजा-अर्चना की।
दरअसल अस्सी वर्षीय रथूली देवी पत्नी स्व० की चनर सिंह, ग्राम-मटीला, पोस्ट सूरी (शीतलाखेत), अल्मोड़ा ने आज से 40 वर्ष पूर्व मां स्याही देवी मंदिर में मन्नत मांगी थी कि यदि उनकी मनोकामना पूर्ण होगी और घर में खुशहाली होगी तो वह मंदिर में पशुबलि देंगी। लेकिन इस बीच जब उनके गांव में गायत्री परिवार द्वारा यज्ञ कार्यक्रम में हाईकोर्ट के आदेश के तहत मंदिरों में पशुबलि पर पूर्ण रोक की जानकारी दी गई।
तभ उन्हें भान हुआ कि उन्हें अपना निर्णय वापस लेना चाहिए। जिस पर आमा ने न्यायालय का सम्मान करने का निश्चय किया तथा नारियल, फूल, धूप-दीप आदि द्वारा मां स्याही मंदिर में पूजा अर्चना की। रधुली देवी ने लोगों से भी अपील की और कहा कि न्यायालय भी न्याय का मंदिर है। अत: हमें उसके आदेशों का पालन करना चाहिए। उन्होंने लोगों ने आग्रह किया कि वह निरीह पशुओं की बलि देना त्याग दें और सात्विक पूजा-अर्चना करें। इस कार्य में उनके सुपुत्रों कुबेर सिंह बिष्ट व हरीश बिष्ट ने सहयोग किया। इस अवसर पर पुरोहित जीवन कांडपाल ने पूजन संपन्न कराया। इस मौके पर चंपा बिष्ट, विनीता बिष्ट, मोहनी देवी, संस्कृति बिष्ट आदि मौजूद रहे।