— 13 सड़कों में थमे वाहनों के पहिए, उफने नदी—नालों से बढ़ा खतरा
— 24 घंटों में जिले के भिकियासैंण क्षेत्र में सर्वाधिक बारिश दर्ज
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
अतिवृष्टि ने अल्मोड़ा जनपद अंतर्गत कई जगह आफत पैदा की है। लगातार चार दिनों से अतिवृष्टि ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित ही नहीं किया है बल्कि कई जगह नुकसान भी पहुंचाया है। जिले की बड़ी नदियों रामगंगा व कोसी के साथ ही नाले उफान पर हैं। मलबा गिरने से 13 मोटरमार्गों पर वाहन का आवागमन ठप पड़ गया है। इसके एक जनहानि व दो पशुहानि के साथ ही 10 मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं। बारिश जारी रहने से लोग दहशतजदा हैं। (आगे पढ़िए…)
24 घंटों में बारिश
अल्मोड़ा—75.6 MM , रानीखेत—54.6 MM, भिकियासैंण—94 MM, चौखुटिया—34 MM, सोमेश्वर 58 MM, जागेश्वर—47.5 MM, जैंती—71 MM, ताकुला—71 MM।
बड़ी नदियों की स्थिति
अल्मोड़ा जिले की दो बड़ी नदियां हैं रामगंगा व कोसी। कोसी नदी का खतरे का निशान 1135.20M है और नदी का जल स्तर वर्तमान में 1133M है। पिछले 24 घंटे में 19300.50Q पानी डिस्चार्ज किया गया है। वहीं रामगंगा नदी का जल स्तर 922.200M है, जिसका वार्निंग लेबल 923.50M बताया गया है। बारिश के चलते ये दोनों ही नदियां उफान पर हैं और इनका जल स्तर वार्निंग लेबल की तरफ बढ़ रहा है। (आगे पढ़िए…)
दर्जनभर सड़कें बंद
जिले में टूटफूट, भूस्खलन व मलबा गिरने से 01 राष्ट्रीय राजमार्ग, 03 राज्य मार्ग, 09 ग्रामीण सड़क मार्ग बंद हैं। इनमें राष्ट्रीय राजमार्ग अल्मोड़ा—घाट पनार—मकड़ाउ, राज्यमार्ग काफलीखान—भनोली—सिमलखेत, भिकियासैंण—जैनल—देघाट—बूंगीधार, थलीसैंण—बूंगीधार—जैनल—मानिला तथा ग्रामीण मार्ग दशौला—मेल्टा, डुंगरा—जिंगोली, जैंती—नया संग्रोली, भुजान—पोखरा, ताड़ीखेत—उंनी, ध्याड़ी—भनोली, बासुलीसेरा—डोटलगांव, ध्याड़ी—मिरगांव व बसोलीखान—मानू मोटरमार्ग शामिल हैं, जिनमें जगह—जगह मलबा गिरने से आवागमन ठप है। (आगे पढ़िए…)
10 मकान क्षतिग्रस्त
इस अतिवृष्टि से जिले के भनोली तहसील में 03 मकान आंशिक व 02 मकान तीक्ष्ण क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। रानीखेत तहसील अंतर्गत 02 मकान आंशिक, सोमेश्वर तहसील में 02 आंशिक व 01 मकान तीक्ष्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गया है। इधर गत रात्रि मकान में मलबे से एक सल्ट के पीपना गांव में एक जनहानि हो चुकी है। पिछले चार दिनों की अतिवृष्टि से जनपद अल्मोड़ा में रानीखेत तहसील में करंट लगने से एक मवेशी व सल्ट में एक मवेशी मलबे से दबने से मर गया। इसके अलावा गांवों में पशु चारे का संकट पैदा हो गया है।