सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
चमोली जनपद जोशीमठ प्रखंड के हेलंग में राजस्व जमीन से घास ला रही महिलाओं से चारापत्ती छीने जाने व उन्हें छह घंटे तक थाने मे बिठाये जाने की घटना का उत्तराखण्ड़ लोक वाहिनी ने कड़ा विरोध किया है। उन्होंने कहा कि सरकार को ग्रामीणों का परंपरागत हक छीनने का कोई अधिकार नहीं है।
उलोवा के वरिष्ठ नेता जगत रौतेला की अध्यक्षता मे आयोजित बैठक में एडवोकेट रौतेला ने कहा कि उत्तराखंड में विकास के नाम पर लोगों के परंपरागत हक—हकूकों को छीनना निंदनीय कृत्य है। उन्होंने कहा कि हेलंग के वायरल वीडियो में साफ दिख रहा है कि महिलाओं के साथ क्या घटित हुआ। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में राज्य आंदोलन में महिलाओं के संघर्ष को भुलाया नही जा सकता। राज्य बनने के 22 वर्षों मे भी महिलायें चारा पत्ती के लिये जान को जोखिम मे डाल कर जीवन यापन कर रही है, जिसे विद्युत कंपनियां व प्रशासन मिलकर तबाह करने में लगे हैं।
उलोवा के महासचिव पूरन चन्द्र तिवारी ने कहा कि हेलंग में यदि ग्राम पंचायत मलुवे के ढेर से फिल्ड निर्माण कर रही है तो फिर उन्हें घास छीनने व महिलाओं को थाने में बिठाने की जरूरत क्यों पड़ी। प्रशासन की सफाई तर्क व समझ से परे है। अजय मित्र ने कहा की रैनी जैसी आपदा से सबक लेकर सरकार विद्युत कंपनियों की उचित जांच करवाए। हेलेन में मलबा डाल रही टीएसडी एस विद्युत कंपनी से अलकनंदा नदी अवरुद्ध होगी, जिससे भविष्य में बड़ी आपदा भी आ सकती है। वक्ताओं ने कहा की उत्तराखंड के लोगों का वनों से गहरा नाता रहा है। उन्होंने वन लगाये हैं तो रक्षा भी की है। प्रशासन को परंपरागत हक छीनने का कोई अधिकार नही है। उन्होंने सरकार से भी मांग करी कि टी.एस.डी.सी. विद्युत कंपनी की उच्च स्तरीय जांच हो और जिम्मेदार सीआरपीएफ और पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध भी आवश्यक कठोर कार्यवाही हो। बैठक में जंग बहादुर थापा, दयाकृष्ण कांडपाल, रेवती बिष्ट, कुणाल तिवारी, अजय सिंह मेहता आदि ने भी विचार रखे।