किच्छा। उत्तराखंड में बीते वर्ष धान खरीद में बिचोलियों व अधिकारियों की सांठ-गांठ के चलते कृषि क्षेत्र में करीब 600 करोड़ का बड़ा घोटाला हुआ है। किसान नेता व पूर्व दर्जा राज्य मंत्री डा. गणेश उपाध्याय ने पत्रकारों से वार्ता के माध्यम से प्रदेश सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि उनके द्वारा बार-बार अधिकारियों से किसानों के धान खरीद के लिए खतौनी को अनिवार्य करने की मांग की गई थी परंतु अधिकारियों ने निजी स्वार्थों के चलते उनकी मांग को अनदेखा किया।
डॉ. गणेश उपाध्याय ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि अधिकारियों तथा बिचौलियों की मिलीभगत के चलते किसानों को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि अगर खतौनी को अनिवार्य किया होता तो कोई भी बिचौलिया आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस व राशन कार्ड की आड़ में दलाली नहीं कर पाता। डॉ. उपाध्याय ने कहा कि हैरानी की बात यह है कि सूचना अधिकार में धान खरीद की जानकारी मांगने पर अधिकारियों द्वारा बहानेबाजी व टालमटोली की जा रही है, जबकि पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में आज भी खतौनी से ही किसानों का धान खरीदा जाता है।
उन्होंने कहा कि इस बार यदि धान खरीद से पहले किसानों की खतौनी को अनिवार्य नहीं किया गया तो वे जनहित याचिका दायर कर माननीय उच्च न्यायालय में किसानों के हितों की रक्षा के लिए गुहार लगाएंगे। डॉ. उपाध्याय ने जानकारी देते हुए बताया कि कुमांऊ में बीते वर्ष 2019 की धान खरीद में निर्धारित पांच महिने में 5.5 लाख मैट्रिक टन का लक्ष्य रखा गया था, जबकि ग्राउण्ड स्तर पर धान की खरीद निर्धारित लक्ष्य के विपरीत न केवल मात्र डेढ़ महिने में पूरा कर दिया, बल्कि सारे मानकों को ताक पर रख पूर्व निर्धारित लक्ष्य से अधिक लगभग 9.5 लाख मीट्रिक टन की खरीद कर डाली।
मामला अधिकारियों तक पहुंचा तो आनन-फानन में जांच के नाम पर बीच में ही धान की खरीद रूकवा दी गयी। वर्ष 2019 में प्रदेश सरकार ने शासन स्तर से कुमांऊ में कमीशन एजेंट को कुल धान खरीद का लक्ष्य माह अक्टूबर से फरवरी तक पांच महिने में 5.5 लाख मैट्रिक टन तथा गढ़वाल में 0.5 मैट्रिक टन खरीदने का रखा था, इसके साथ ही ई-पोर्टल पर धान की खरीद के लिए किसानों से आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर कार्ड तथा राशन कार्ड की व्यवस्था दी गयी थी,
लेकिन जब कुमांऊ में ग्राउण्ड लेवल पर धान खरीद शुरू हुई तो मात्र तिहाई समय अर्थात डेढ़ माह में ही निर्धारित लक्ष्य से अधिक करीब 9.5 लाख मीट्रिक टन धान खरीद लिया गया। मामले में कमिशन एजेंट व राइस मिलों की भूमिका शक के दायरे में आने पर संभागीय खाद्य निदेशक आरएफसी कुमांऊ ने धान खरीद बंद कर मामले की जांच बिठा दी। जांच में कमिशन एजेंट व राइस मिलों की संदिग्ध भूमिका पाये जाने पर माह नवम्बर 2019 में उप संभागीय विपणन अधिकारी हल्द्वानी के आदेश पर जसपुर व आस-पास की पांच राइस मिलों के खिलाफ कार्यवाही कर तत्काल उनके बिलों पर रोक लगायी थी,
जबकि इसके साथ ही खरीद प्रणाली को किसानों के अनुरूप सुविधाजनक एवं सशक्त बना कर नियम अनुसार केवल खतौनी, जोतबही अथवा किसान सहकारी समिति की स्थायी सदस्यता पर पहले खरीद का मौका बिचौलियों को न देकऱ केवल किसानों को देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि वही खरीद व्यवस्थाओं की मार झेल रहे अधिकांश छोटे किसान बिचौलिए दलालों को घाटे में अपनी फसल बेचने के लिए मजबूर हो जाते हैं, जबकि सरकारी रेटों का दोहरा लाभ पिछले दरवाजे से बिचौलिये उठाते रहे हैं।
उपाध्याय ने मांग करते हुए कहा कि सरकार को किसान हित में जल्द ठोस एवं फूलप्रूफ नीति बनाकर किसानों को मजबूत करना चाहिए। उत्तराखंड की मंडियों से प्रतिदिन जो धान की खरीद डेढ़ माह मे 95 लाख कुंटल की आवति की गई थी, उसकी रिपोर्ट सूचना के आधार पर डेढ़ माह में एक मंडी ने कितना धान तोला, अभी तक उसका उत्तर नहीं दिया गया है।
सूचना के अधिकार इसका स्पष्ट जवाब नहीं दिया है। इस परिपेक्ष में डॉ. गणेश उपाध्याय ने खाद्य सचिव उत्तराखंड को पत्र लिखकर पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है परंतु डेढ़ माह का समय बीतने के बाद भी कोई जवाब नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही किसानों की लड़ाई के लिए माननीय उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करेंगे।
नई नीति से होगी सख्ती के साथ धान खरीद चालू
मामले पर संभागीय खाद्य निदेशक आरएफसी कुमांऊ ललित मोहन रयाल ने कहा कि बीते वर्ष की धान खरीद का पूरा प्रकरण सरकार के संज्ञान में है। फसलों की खरीद के लिए किसानों व आढतियों के लिए दो तरह की अलग-अलग नीतियां होती हैं। अभी इस वर्ष की खरीद नीति शासन से आना बाकी है, सरकार जो भी नई नीति तय करेगी उसे पूरी सख्ती के साथ लागू कर समय से धान खरीद चालू की जायेगी।