सितारगंज न्यूज़ : सुनो सरकार! उत्तराखंड के कक्षा नौ के 22 बच्चे केरला के वायनाड में भी फंसे हैं, उनकी भी सुध ले कोई

नारायण सिंह रावत सितारगंज। कोरोना महामारी के चलते हुए लॉकडाउन में जवाहर नवोदय विद्यालयों में एक-दूसरे राज्यों के बच्चे फंसे हुए हैं। उत्तराखंड के कक्षा-9…

सीडीओ और एडीएम का बदला तैनाती स्थल

नारायण सिंह रावत

सितारगंज। कोरोना महामारी के चलते हुए लॉकडाउन में जवाहर नवोदय विद्यालयों में एक-दूसरे राज्यों के बच्चे फंसे हुए हैं। उत्तराखंड के कक्षा-9 के 22 छात्र जहां वायनाड केरला नवोदय विद्यालय में फंसे हुए हैं तो वायनाड केरला के जवाहर नवोदय विद्यालय सुयालबाड़ी अल्मोड़ा में कक्षा-9 के 20 बच्चे फंसे हुए हैं। ये सभी बच्चे अब काफी परेशान होने लगे हैं। सीएनई परिवार ने जब केरला में फंसे बच्चों से संपर्क साधा तो बच्चे फोन पर फफक-फफक रो पड़े। वहीं, इन बच्चों के अभिभावकों को भी बच्चों की चिंता सताने लगी है।

जानकारी के अनुसार दूसरे राज्यों से सांस्कृतिक, भौगोलिक और शैक्षिक गतिविधियों के आदान प्रदान की योजना के अंतरगत उत्तराखंड से कक्षा-9 के 22 बच्चे जवाहर नवोदय विद्यालय वायनाड केरला गए थे। इनमें 14 लड़के और आठ लड़कियां है। उधर वायनाड केरला के कक्षा-9 के 20 बच्चे जिनमें 12 लड़कियां तथा आठ लड़के शामिल हैं, जवाहर नवोदय विद्यालय सुयलबाड़ी अल्मोडा में आए। बताया गया है कि इन बच्चों की 19 मार्च को छुट्टिया पड़ गयी थीं। उत्तराखंड के बच्चों का घर वापसी के लिए 27 मार्च का केरल से रिजर्वेशन हुआ था। जबकि केरल के बच्चों का दिल्ली से केरल के लिए 28 मार्च को रिजर्वेशन था। लेकिन तभी देश भर में लॉकडाउन हो गया। जिस कारण से जवाहर नवोदय विद्यालयों में रह रहें, ये सभी बच्चे जहां थे वही फंस कर रह गए। शुरू में तो ठीक-ठाक चला किन्तु अब वे लॉकडाउन से उब चुके हैं और घर आने को व्यथित है। परिवार वाले भी अपने बच्चों के दूर स्थान पर फंसे हुए होने के कारण ​चिंतित हैं। वे कई जगह अपनी फरियाद कर चुके हैं, लेकिन अब तक किसी ने भी उनकी मदद नहीं की है। शासन और प्रशासन भी इस मामले में कोई समुचित कार्यवाही नहीं कर पा रहा है। जो चिंता का ​विषय है। इधर, सीएनई ने केरला में फंसे उत्तराखंड के बच्चों से फोन पर सम्पर्क साधा तो बच्चे फोन में अपनी समस्या बताते हुए भावुक हो कर रो पड़े।

बच्चों का कहना था कि अगर 3 मई के बाद भी लॉकडाउन बढ़ा तो ऐसे में वे घर कैसे आ पाएंगे। उत्तराखंड के बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि जिस तरह से उत्तराखंड के शिक्षार्थियों को कोटा राजस्थान से उत्तराखंड लाया गया है, ठीक इसी प्रकार से केरल से भी उनके बच्चों को उत्तराखंड लाया जाना चाहिए।


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