नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि उसने कोरोना की किसी पारंपरिक दवा को मंजूरी नहीं दी है। उसके इस बयान को बाबा रामदेव की दो दिन पहले लांन्च की गई कोरोनिल से जोड़ कर देखा जा रहा है, दरअसल बाबा ने कहा था कि डब्ल्यूएचओ के निर्देशों के मुताबिक भारत सरकार ने इसे मंजूरी दी है। पतंजलि या फिर कोरोनिल दवा का जिक्र किए बिना विश्व स्वास्थ्य संगठन की दक्षिण पूर्व एशियाई यूनिट ने ट्वीट किया है, ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना के इलाज में किसी पारपंरिक दवा के प्रभाव को मंजूरी नहीं दी है।’
बाबा रामदेव ने कहा था कि, ‘साइंटिफिक रिसर्च एविडेंस पेश किए जाने के बाद केंद्र सरकार ने इस दवा को मंजूरी दी है। इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के आधार पर परमिशन दी गई है। अब हम इस दवा को दुनिया के 150 से ज्यादा देशों में बेच सकते हैं।’ कोरोनिल की नई दवा की लॉन्चिंग के मौके पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी मौजूद थे।
हरिद्वार स्थित बाबा रामदेव की कंपनी का कहना था कि इस दवा को विश्व स्वास्थ्य संगठन की सर्टिफिकेशन स्कीम के तहत आयुष मिनिस्ट्री से मंजूरी मिली है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के ट्वीट के बाद से इस बात पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर बाबा रामदेव ने कैसे मंजूरी का दावा किया है। यही नहीं यह मुद्दा सोशल मीडिया पर भी छा गया है।