हल्द्वानी न्यूज : आशाओं को बिना सुरक्षा अपने क्षेत्रों में एक्टिव सर्विलांस ड्यूटी कर रिपोर्ट देने का आदेश वापस लो- कैलाश पान्डे

हल्द्वानी । “अब से पूर्व कोरोना महामारी और लॉकडाउन में जो भी कार्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्धारित किये गए वे सारे कार्य आशाओं ने स्वास्थ्य विभाग के दिशा निर्देश में पूरी निष्ठा से किये हैं। लेकिन अब उत्तराखंड सरकार ने आदेश जारी करते हुए कोरोना के समय आशाओं को रोज अपने क्षेत्रों में एक्टिव सर्विलांस ड्यूटी कर रोज शाम को रिपोर्ट देने का काम भी आशाओं को सौंपने का फैसला किया गया है। जिसमें आशाओं को असाध्य बीमारियों व ब्लड प्रेशर, शुगर, दिल की बीमारी, सांस संबंधी रोग, टीबी, एल्कोहलिक लीवर डिजीज, सर्दी, जुकाम, ज्वर ग्रसित रोगियों का नाम व सम्पूर्ण विवरण, कुपोषित बच्चों का विवरण, डेंगू, मलेरिया, उल्टी, दस्त से ग्रसित मरीजों का विवरण, 65 वर्ष आयु से अधिक वरिष्ठ नागरिकों का नाम व विवरण, गर्भवती व धात्री स्त्रियों का नाम व विवरण का काम करने का आदेश जारी कर दिया गया है। बिना मानदेय, बिना सुरक्षा, बिना कर्मचारी का दर्जा पाए आशाएँ क्या क्या काम करें? आशाओं को बिना मानदेय और बिना किसी सुरक्षा के काम करना पड़ रहा है, ऐसे में आशाओं को संक्रमण का खतरा बना हुआ है, आशाओं के साथ यदि कोई दुर्घटना होती है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा, ये सब अब नहीं चलेगा।” यह बात ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के प्रदेश महामंत्री डॉ कैलाश पाण्डेय ने कही।
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उन्होंने कहा कि, “आशा वर्कर्स को फील्ड वर्क के लिए कोई सुरक्षा उपकरण नहीं दिए गए हैं और अब सुरक्षा की परवाह किए बिना आशाओं को रोज अपने क्षेत्रों में एक्टिव सर्विलांस ड्यूटी कर रोज शाम को रिपोर्ट देने का काम लेने के लिए नियुक्त करना उनकी जान को खतरे में डालना है। कोरोना महामारी के समय एक तो इतने काम करने के बाद भी आशाओं को कोई भुगतान नहीं किया जा रहा है। अब आशाएँ बिना मानदेय और बिना सुरक्षा के काम करने वाली नहीं हैं। इसलिए हमने इसका विरोध करने का फैसला किया है और ‘ऐक्टू’ से संबद्ध उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन इसका पुरजोर विरोध करती है। हम आशाओं को एक्टिव सर्विलांस ड्यूटी कर रोज शाम को रिपोर्ट देने का फैसला तत्काल वापस लेने की मांग करते हैं। अन्यथा की स्थिति में यूनियन को कोरोना के दौर में भी आंदोलन के विकल्प पर विचार करने को बाध्य होना पड़ेगा।”