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बच्चों का इंतजारः बस्ते में कब होंगी सभी विषयों की पुस्तकें


नये शिक्षा सत्र के करीब डेढ़ माह में पुस्तकों की पहली खेप
इस दफा भी घिसी-पिटी व्यवस्था के भरोसे निःशुल्क किताबें

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ाः विद्यालयों में निःशुल्क पुस्तकों के वितरण इस दफा भी घिसी-पिटी व्यवस्था से भरोसे है। इसका साफ अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नया शिक्षा सत्र शुरू होने के बाद करीब डेढ़ माह का वक्त पार हो गया है। अगर व्यवस्था तंदरूस्त होती, तो नया सत्र शुरू होते ही पुस्तकों की खेप पहुंचना और वितरण होना भी शुरू होता है। गनीमत ये है कि लगभग डेढ़ महीने बाद अल्मोड़ा जिले में पुस्तकों की पहली खेप पहुंच सकी है। जिसमें चंद विषयों की ही पुस्तकें हैं।

अल्मोड़ा जिले की ही बात करें, तो कक्षा-1 से लेकर कक्षा-12 तक 69,542 छात्र-छात्राओं को निःशुल्क नई पुस्तकें दी जानी हैं। नया शिक्षा सत्र शुरू हुए करीब डेढ़ माह हो चुका है, किंतु अब तक किताबों के इंतजार में छात्र-छात्राएं हैं। यह इंतजार छात्र-छात्राओं को परेशान कर रहा है। शिक्षा विभाग ने जिले के विद्यार्थियों के लिए 02.60 लाख पुस्तकों की डिमांड भेजी थी। मगर आशा की किरण नया सत्र शुरू होेने के करीब डेढ़ माह बाद जगी है, क्योंकि कम से कम किताबों की सप्लाई शुरू हो सकी है। संबंधित फर्म ने अल्मोड़ा जिले के सभी 11 ब्लाकों के लिए करीब 15 हजार किताबों की पहली खेप पहुंचा दी है। ये पुस्तकें फिलहाल सभी विषयों की नहीं, बल्कि दो-तीन विषयों की ही पुस्तकें बताई जा रही हैं। इससे साफ है कि बांकी विषयों की पुस्तकें बच्चों के हाथों तक कब तक पहुंच जाएंगी, यह स्पष्ट नहीं है। सिर्फ जल्द मिलने की बात की जा रही है या ऐसी उम्मीद ही की जा सकती है। ऐसे में यह भी साफ जाहिर है कि सभी विषयों की पुस्तकों से बच्चों के बस्ते पैक रहे, इसके लिए अभी काफी वक्त इंतजार करना पड़ सकता है।

जब शिक्षा सत्र शुरू होने के डेढ़ माह बाद किताबों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो पाया है। तो यह घिसी-पिटी व्यवस्था के दायरे में ही कहा जा सकता है। सवाल ये है कि जब पहले ही स्पष्ट है कि फलां माह से नया सत्र शुरू होने जा रहा है, तो उसी अनुरूप पुस्तकों की व्यवस्था क्यों नहीं हो जाती। ऐसा सिलसिला पिछले सालों से चलता आ रहा है। सवाल ये भी है कि बिना किताबों के डेढ़ माह पठन-पाठन की स्थिति क्या रही होगी अथवा छात्र-छात्राएं बिना किताब के कितनी परेशानी महसूस कर रहे होंगे। अभी तो चंद विषयों की ही पुस्तकें उपलब्ध हो पाई हैं। इन हालातों में उस दिन का बच्चों को अभी इंतजार ही करना है, जिस दिन उनके बस्ते में सभी विषयों की पुस्तकें होंगी। जितना विलंब होगा, उससे पठन-पाठन के उतना ही प्रभावित होने या छात्र-छात्राओं के परेशान रहने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसी दिक्कतें नहीं होने पाएं, बच्चे पुस्तकों के लिए परेशान ना रहें और विभागीय किरकिरी नहीं होने पाए, इसके लिए भविष्य में विभाग को सुदृढ़ व्यवस्था को अपनाना चाहिए।

मुख्य शिक्षा अधिकारी अल्मोड़ा हेमलता भट्ट के अनुसार जिले के सभी ब्लाकों में किताबे उपलब्ध कराई जा रही हैं और कुछ स्कूलों में दो-तीन विषयों की किताबें बंट चुकी हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि शीघ्र ही सभी छात्र-छात्राओं को हर विषय की किताब उपलब्ध हो जाएंगी।

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