दहेज एक अभिशाप है दहेज एक अभिशाप है, इसको लेना सबसे बड़ा पाप है, बेटी ही ससुराल के लिए मान्य है, वर्तमान में दहेज एक बहुत बड़ा अभिशाप है, बेटी का मूल्य दहेज से कहीं ज्यादा है, दहेज एक दिखावा मात्र है, वास्तव मे बेटी ही कही ज्यादा मूल्यवान है, दहेज एक अभिशाप है, इसको लेना सबसे बड़ा पाप है,

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कविता - दहेज एक अभिशाप है

दहेज की जंजीर को अब हमने तोड़ना हैं, दहेज प्रथा से मुक्त भारत हमने बनाना है, दहेज का मूल्य बेटी की तुलना में कागज मात्र है, दहेज प्रथा से अब हमने बेटियों को बचाना है, दहेज से कुछ नहीं, बस समाज में मिलती है एक झुठी शान, दहेज प्रथा को खत्म करना अब हमारा प्रथम काम, दहेज एक अभिशाप है, इसको लेना सबसे बड़ा पाप है।

- खुशनुमा परवीन