देहरादून। वैश्वविक भारतीय वैज्ञानिक (वैभव) शिखर सम्मेलन- 2020 का गांधी जयंती पर विधिवत शुभारंभ हो गया। इस ग्लोबल समिट में भारतीय प्रवासी अनुसंधानकर्ताओं और शिक्षाविद प्रतिभाग कर रहे हैं। समिट के तहत प्रतिभागी अनुसंधानकर्ता ग्लोबल लेवल पर विभिन्न विषयों पर अनुसंधान करेंगे। बताया गया है कि वैभव शिखर सम्मेलन का उद्देश्य भारतीय अनुसंधान और शैक्षणिक संस्थानों के ज्ञान-आधार को और अधिक बढ़ाने के लिए दुनियाभर के शीर्ष विश्वविद्यालयों, अनुसंधान केंद्रों और विकास संगठनों में कार्यरत भारतीय प्रवासी अनुसंधानकर्ताओं, विशेषज्ञों में समन्वय स्थापित कर इस कार्य में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना है।
गौरतलब है कि बीते शुक्रवार देर शाम गांधी जयंती के मौके पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शिखर सम्मेलन का विधिवत उद्घाटन किया गया। समारोह में बताया गया है कि एक माह के इस ऑनलाइन पैनल शिखर समिट में विचार-मंथन के बाद कई वर्टिकल (प्रमुख थीम) पर प्रत्येक उप-विषयों पर गहन चर्चा की जाएगी, ताकि ब्याज के क्षेत्रों में भविष्य के सहयोग के लिए एक रास्ता तैयार किया जा सके।
शिखर सम्मेलन डीआरडीओ (आर एंड डी विंग) की एक पहल है, जो डीएसटी, एमईए, एमओई और विभिन्न भारतीय एस एंड टी संगठनों के साथ आयोजित किया गया है। हेल्थकेयर, मेडिकल साइंसेज और बायोमेडिकल डिवाइसेस में देश की चार संस्थाओं-एम्स दिल्ली, पीजीआई चंडीगढ़, निमहंस बैंगलोर एवं आई जी आई बी के साथ एम्स ऋषिकेश को यह जिम्मेदारी दी गयी है। 110 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ और 160 भारतीय विशेषज्ञ 4 विषयों में 21 बुद्धिशीलता सत्रों में प्रतिभाग करेंगे। हेल्थकेयर में बायोमेडिकल डिवाइसों के लिए प्रेसिजन हेल्थ, होलिस्टिक हेल्थ, रिमोट एंड रूरल हेल्थ एंड टेक्नोलॉजी। एम्स ऋषिकेश वैभव समिट के लिए एक चैंपियन संस्थान है, जहां संस्थान के स्तर पर समिट के कुल 21 मंथन सत्रों में से 12 का आयोजन किया जा रहा है।
इस अवसर पर एम्स निदेशक पद्म प्रोफेसर रवि कांत ने कहा कि “वैभव” शिखर सम्मेलन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को मजबूत करेगा। उन्होंने बताया कि एम्स ऋषिकेश चिकित्सा शिक्षा, प्रशिक्षण, स्वास्थ्य देखभाल, अनुसंधान और नवाचार में देश के चैंपियन संस्थानों में से एक है। निदेशक पद्म प्रो. रवि कांत ने बताया कि एम्स ऋषिकेश भारत में कैंसर देखभाल, बायोमेडिकल इनोवेशन, एडवांस सर्जिकल टेक्नोलॉजी, स्लीप मेडिसिन, मेंटल हेल्थ, न्यूरोबायोलॉ, इंडस्ट्रियल प्रदूषकों के प्रभाव, हाई एल्टीट्यूड मेडिसिन आदि में अग्रणी संस्थानों में से एक है।
उन्होंने बताया कि हमने रिमोट और रूरल क्षेत्रों के लिए भी एक प्रणाली स्थापित की है। जिसके तहत संस्थान टेली हेल्थ और एयर एम्बुलेंस सेवाओं के माध्यम से हेल्थकेयर पर सतत कार्य कर रहा है। निदेशक प्रो. रवि कांत ने बताया कि एम्स ऋषिकेश भारत में अग्रणीय कैंसर उपचार केंद्रों में से एक हैं, जिसमें निवारक ओन्कोलॉजी, कम लागत वाले कैंसर देखभाल, सटीक ओन्कोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित देखभाल निदान और नैनोटेक्नोलॉ पर अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में हम स्वदेशी उन्नत चिकित्सा प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए कई परियोजनाओं पर कार्य कर रहे हैं। साथ ही एम्स संस्थान ने प्रत्यारोपण, स्मार्ट उपकरणों और वन समर्थन प्रणाली के क्षेत्रों में कई पेटेंट दायर किए हैं। हमने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों और उद्योग के साथ सहयोग किया है। हम बायोमेडिकल इनोवेशन के लिए एक केंद्र स्थापित करने की योजना भी बना रहे हैं।
संस्थान के वाइस डीन इनोवेशन एंड इन्क्यूबेटर डा. डी. के. त्रिपाठी, ने बताया कि महीने भर चलने वाले इस समिट में एम्स ऋषिकेश के 20 से अधिक संकाय विशेषज्ञ विभिन्न वैभव समिट के मंथन सत्रों में भाग लेगे। उन्होंने बताया कि एम्स ऋषिकेश हेल्थकेयर में बायोमेडिकल उपकरणों के लिए रिमोट और रूरल हेल्थ एंड टेक्नोलॉजी पर सत्र का नेतृत्व कर रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि शिखर सम्मेलन भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों और एम्स ऋषिकेश के बीच अनुसंधान और नवाचार में एक लंबे और स्वस्थ सहयोग की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। वैभव शिखर सम्मेलन में संस्थान के डीन एकेडमिक्स प्रो. मनोज गुप्ता, डीन रिसर्च प्रो. वर्तिका सक्सेना और उप-डीन (प्लानिंग) डा. के. एस. राजकुमार ने विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय और भारतीय विशेषज्ञों के साथ भाग ले रहे हैं।