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उत्तराखंड पुलिस की कस्टडी में युवक की संदिग्ध मौत, जानें पूरा मामला

अयोध्या | उत्तराखंड पुलिस की हिरासत में एक युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मामला इंटरनेट मीडिया में छाया हुआ है। घटना शुक्रवार देर रात की है। मृतक के परिजन उत्तराखंड पुलिस पर हत्या का आरोप लगा रहे हैं। वहीं, पुलिस का कहना है कि अयोध्या से रूद्रपुर लाने के दौरान आरोपी की तबीयत बिगड़ी और उसकी मौत हो गई। हालांकि, शनिवार की देर शाम डॉक्टर के पैनल से हुए पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने दावा किया है कि भास्कर पांडेय की मौत हार्टअटैक से हुई थी। नगर कोतवाल अश्वनी पांडेय ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतक के शरीर पर चोट के निशान नहीं मिले हैं। मौत की वजह डॉक्टर ने हार्ट अटैक बताई है। मामले की जांच अभी की जा रही है।

दरअसल, मृतक भास्कर पांडेय सिद्धार्थनगर जिले के मधुबनी बड़ेपुर का निवासी था। मृतक भास्कर पांडे अयोध्या में रहकर वकालत की पढ़ाई कर रहे थे। मृतक के ससुर दिग्विजयनाथ त्रिपाठी ने बताया कि भास्कर कुछ माह पूर्व रुद्रपुर की एक कंपनी में नौकरी करता था। कंपनी के अभिलेखों में कुछ त्रुटि मिली थी, उसमें कंपनी के अधिकारियों ने भास्कर को आरोपित बताया था। इसी मामले में ऊधमसिंह नगर जिले की रुद्रपुर पुलिस ने उसे पकड़ कर पूछताछ की थी।

भास्कर ने न्यायालय की शरण ली तो पुलिस ने भास्कर को दोष रहित बताते हुए रिपोर्ट न्यायालय में दी थी। इसके बाद उसे छोड़ दिया गया, लेकिन उसके दो मोबाइल फोन और लैपटाप पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया, जिसे काफी प्रयास के बाद वापस किया गया। भास्कर एलएलबी की पढ़ाई कर रहा था। शुक्रवार को वह गोंडा जिले के नवाबगंज स्थित एक कालेज में परीक्षा देने आया था, जहां से उसे पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

कुछ घंटों बाद अयोध्या जिला हॉस्पिटल में भास्कर का शव मिला। भास्कर पर आरोप था कि उन्होंने फर्जी स्लिप कार्यालय भेजकर ट्रांसपोर्टर को 52 लाख का चूना लगाया था। वहीं, भास्कर के परिजनों का आरोप है कि उत्तराखंड पुलिस के साथ यूपी पुलिस ने मिलकर भास्कर की हत्या की साजिश रची है। परिवारजनों ने भास्कर के साथ रहने वाले चाचा पर भी समय से जानकारी नहीं देने का आरोप लगाया है। सीओ ने बताया कि चिकित्सकों के पैनल से शव का पोस्टमार्टम कराया जाएगा। रिपोर्ट मिलने के बाद ही मौत का कारण स्पष्ट होगा।

वहीं, भास्कर के साले शुभम त्रिपाठी ने बताया कि वह डेढ़ साल पहले उत्तराखंड में नौकरी करते थे। लेकिन, दो महीने बाद वह घर लौट आए। कुछ दिन बाद भास्कर को वेतन देने के लिए वापस उत्तराखंड बुलाया गया, मगर उन्हें थाने में बंद कर दिया गया। उन्होंने कहा कि मेरे जीजा की हत्या की गई है। इस मामले में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

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