हल्द्वानी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उत्तराखंड की सभी सीटों से विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा ने सूबे की सत्ताधारी और विपक्ष दोनों पार्टी को बेचैन करके रख दिया है। नतीजा आपके सामने है। अब तक सत्ता के नशे में ऊंघ रही भाजपा अचानक एक्शन में आई इसे जल्दीबाजी कहें या फिर हड़बड़ी की अमूमन शार्ट से शार्ट नोटिसों में भी सात दिन का समय देने वाली इस पार्टी ने चार दिन के नोटिस पर अपने तीन विधायकों को तलब किया और भाजपा से समय पूर्व ही निकाले गए एक विधायक चैंपियन को तमाम विरोधों के बावजूद दोबारा घर वापसी करा दी। तय है कि केजरीवाल के साथ टवेंटी—20 मैचे खेलने से पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने अपने किले की दीवारों से लगी ईंटों को ठोक बजाकर चेक करने का काम शुरू कर दिया है।
दूसरी ओर कांग्रेस भी अचानक एक्टिव मोड में दिखाई पड़ रही है। उसके नेता कार्यकर्ता भी अब सड़क पर उतरने का दम भरने लगे हैं। हालांकि आप के उत्तराखंड में आने से कांग्रेस से ज्यादा नुकसान सत्ताधारी भाजपा को होना है। कांग्रेस के पास खोने के लिए फिलहाल कुछ है ही नहीं जबकि भाजपा के पास बिखरने से बचाने के लिए बहुत कुछ है। आप को अभी तक मजाक में ले रहे यहां की स्थापित राष्ट्रीय पार्टियों के नेता अब उसे गंभीरता से लेने लगे हैं। वे मुख से आप पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते। शायद वे अभी आप से दो— दो हाथ करने से पहले वे अपनी और तैयारियां पूरी कर लेना चाहते हैं।
स्वागत है केजरीवाल जी का