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बागेश्वर न्यूज : जीरो टालरेंस सरकार और ईमानदार अधिकारियों के ट्रांसफर

बागेश्वर। जिले के अस्पतालों में न पूरे डॉक्टर, न शिक्षक और न विभागों में पूरे कर्मचारी और ना ही अधिकारी, बस सब कुछ बाबा बागनाथ के भरोसे। जन सुविधाओं के अभाव में लोग जैसे तैसे समय काट रहे हैं। ऐसे में अगर कोई कर्तव्य निर्वहन करने वाला अधिकारी जिले में आता है तो एक साल के अंदर ट्रांसफर का आदेश हो जाता है। कल जिले के प्रभागीय वनाधिकारी मयंक शेखर झा का तबादला चंपावत हो गया है । तब से डीएफओ का ट्रांसफर व्हाट्सएप और सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। लोगों का कहना है कि विगत दिनों डीएफओ बागेश्वर द्वारा वन अधिनियम में सख्ती का पालन करते हुए नियमों को ताक पर रखने वालों के खिलाफ जांच की गयी, दोषियो पर कड़ी कार्रवाई शुरू हो गई थी। जिसके बाद वे जिले के कुछ कद्दावर लोगों की आँखों में खटकने लगे थे। एक हफ्ते के अंदर ही उन्हें ट्रांसफर लेटर थमा दिया गया। वहीं लोगों ने जिले में कुछ समय के लिये एसपी रहे आईपीएस लोकेश्वर सिंह के समय पुलिस की कार्यशैली को याद किया। लोगों का कहना है कि चंद महीनों में ही जिले की पूरी व्यवस्था ही बदल डाली। ऐसे ऐसे केस सुलझा डाले, जो वर्षों से धूल फांक रही फ़ाइलो में बंद पड़े थे। नगरवासियों को लगा कि दो-तीन साल जिले में ऐसे ईमानदार अधिकारी रहेंगे तो जिले की बहुत सारी व्यवस्थाएं दुरुस्त हो जाएंगी। जनता के लगने से भला कुछ होता है, जल्द ही ईमानदार छवि के आईपीएस लोकेश्वर सिंह का भी ट्रांसफर कर दिया गया था । पिछले महीने सीएमओ बीएस रावत रिटायर हुए हैं और इस महामारी के दौरन जहाँ स्वास्थ्य विभाग की अहम भूमिका है, उसी विभाग का सर्वेसर्वा का पद खाली ही है। वहीं कई लोग अब सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति पर सवाल खडे करने लगे हैं।

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