नालागढ़ : नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू, लेकिन चार साल से सरकारी स्कूलों में कला अध्यापक की एक भी नियुक्ति नहीं

नालागढ़। बेरोजगार कला तथा शारीरिक अध्यापक सरकार द्वारा सन् 2005 से 2009 तक एससीवीटी के माध्यम से तथा उस से पहले किसी अन्य राज्य से कला एवं शारीरक अध्यापक का प्रशिक्षण लेकर अपने हक के लिए सरकार से बार-बार गुहार लगा रहे हैं। सरकार ने अपने कार्यकाल में एक भी पद कला तथा शारिरीक अध्यापक का नहीं भरा। जहां भी मुख्यमंत्री का कार्यक्रम, मंत्रियों के जनमंच इत्यादि होता है ये सभी बेरोजगार कला और शारीरिक अध्यापक उनके कार्यक्रम में यह आस लगाकर उनसे मिलने चले आते थे और उन्हें हर बार झूठे आश्वासन देकर यह टाल दिया जाता था कि आप के पदों को जरूर भरेंगे लेकिन आज तक एक भी पद नहीं भरा गया।
अभी हाल ही में शिक्षा विभाग ने 500-500 कला और शारीरिक अध्यापकों के पदों को मंजूरी के लिए वित्त विभाग के पास भेजा था और वह वित्त विभाग मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जी के पास ही है लेकिन उस पर कार्रवाई हुई या नहीं हुई इसका कोई पता नहीं चल रहा। अभी 6 मार्च को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जी ने अपना बजट पेश किया उसमें भी शिक्षा विभाग में 4000 पद भरने की अनुमति दी गई लेकिन उसमें भी कला और शारीरिक अध्यापकों के पदों को सरकार भरेगी या नहीं कोई भी पता नहीं चल रहा। बेरोजगार कला अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष मुकेश भारद्वाज का कहना है की सरकार ने अपने कार्यकाल में एक भी कला और शारीरिक अध्यापकों का पद नहीं भरा।
सरकार ने आज से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की, हम उसका स्वागत करतें है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कला का ज्ञान को ज्यादा महत्व दिया गया है बिना ड्राइंग के इंजीनियर बनाए जा रहे हैं। बच्चों का मनोविज्ञान एवं स्वस्थ होना अनिवार्य है ये तभी संभव है जब शारीरिक अध्यापक होगा। स्कूलों में कला के 1717 तथा शारीरिक अध्यापकों के 1881 पद खाली चल रहें है। सभी बेरोजगार कला अध्यापक और शारीरिक अध्यापकों ने निराश होकर शिमला में सड़कों में उतर कर सरकार के खिलाफ एक जन आक्रोश रैली भी की लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिल सका।
वही शारीरिक अध्यापक के उपाध्यक्ष संदीप का कहना है कि शिक्षा का अधिकार 2009 में लिखा जरुर गया है 100 बच्चे होंगे वहां अध्यापक होना अनिवार्य है लेकिन हिमांचल की भौगोलिक स्थिति अच्छी नहीं है 100 बच्चे होना संभव नहीं है। अधिकतर गांव की जनसंख्या 50 या 60 अगर हो तो 100 बच्चे कहाँ से होंगे। दुर्गम क्षेत्रों को देखते हुए खाली कला तथा शारीरिक अध्यापकों के पदो को सरकार जल्द भरें। हिमांचल सरकार को हमारी माँग जरूर माननी पडेगी नहीं तो डिप्लोमे सरकार को दिए जाएगे।