संभल मस्जिद-कुआं विवाद‌ पर सुप्रीम कोर्ट का यूपी सरकार को नोटिस

नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर विवादित संभल मस्जिद के आसपास के कुएं के इस्तेमाल करने…

सुप्रीम कोर्ट बोला - धार्मिक स्थलों पर नए मुकदमे नहीं दायर किए जाएंगे, न ही सर्वेक्षण का आदेश दिया जाएगा

नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर विवादित संभल मस्जिद के आसपास के कुएं के इस्तेमाल करने के लिए स्थानीय नगर पालिका की ओर से जारी सार्वजनिक नोटिस को 21 फरवरी 2025 तक लागू नहीं करने और दो सप्ताह में स्थिति का विवरण पेश करने का निर्देश दिया।

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने संभल शाही जामा मस्जिद समिति की याचिका पर यह आदेश पारित किया। पीठ ने संभल नगर पालिका अधिकारियों से कहा कि वे पोस्टरों के माध्यम से जारी किए गए अपने सार्वजनिक नोटिस को लागू न करें, जिसमें शाही जामा मस्जिद के आसपास के कुएं को हिंदुओं द्वारा पूजा और स्नान के लिए उपलब्ध ‘श्री हरि मंदिर’ बताया गया है। शीर्ष अदालत के समक्ष राज्य सरकार ने कहा कि उस जगह के आसपास की स्थिति शांतिपूर्ण थी, लेकिन आवेदक ने मुद्दा बनाने की कोशिश की। इस पर मस्जिद समिति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने प्रस्तुत किया कि नगर पालिका द्वारा जारी किए गए नोटिस में स्नान के लिए इस्तेमाल किए जा रहे कुएं को ‘हरि मंदिर’ कहा गया है। पीठ ने कहा कि यदि दूसरा पक्ष भी कुएं का उपयोग करता है तो कोई नुकसान नहीं है।


अधिवक्ता वकील ने कहा कि कुएं का आधा हिस्सा अंदर और आधा बाहर है, लेकिन राज्य सरकार पक्षपातपूर्ण रुख अपना रही है। इसके बाद अदालत ने नोटिस जारी कर राज्य सरकार से कहा कि वह नगर पालिका की ओर से जारी नोटिस को प्रभावी न करे। मस्जिद समिति की याचिका में दावा किया गया है कि जिला प्रशासन पुराने मंदिरों और कुओं के तथाकथित पुनरुद्धार के अपने कथित अभियान में कुएं का प्रस्तावित सार्वजनिक इस्तेमाल करने के लिए प्रचार कर रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि उक्त कुएं धार्मिक महत्व रखते हैं।

शीर्ष अदालत ने 29 नवंबर, 2024 को, जिला अदालत से कहा था कि वह श्री हरिहर मंदिर पर मस्जिद के निर्माण का दावा करने वाले मुकदमे में दिए गए सर्वेक्षण पर तब तक कार्रवाई न करे, जब तक कि संभल शाही जामा मस्जिद समिति इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा नहीं खटखटाती। अधिवक्ता हरि शंकर जैन और अन्य द्वारा दायर एक मुकदमे पर सिविल जज (सीनियर डिवीजन) द्वारा सर्वेक्षण का आदेश दिया गया था।



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