— दिल्ली से अमित कुमार —
मित्रों जानते हैं कि संसार में सत्य पर असत्य हमेशा से कैसे राज करता आया है। कारण यह है सच कड़वा है और असत्य मीठा। फिर बहुत कम ही होंगे जो मुंह मीठा करने की बजाए कड़वा घूंट पीना चाहेंगे।
कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बाद से जहां मीडिया ने देशवासियों के सामने खुलकर सच्चाई रखनी शुरू कर दी है, वहीं एक आवाज बुलंद हो रही है कि आखिर मीडिया डरा क्यों रही है ? इनका ऐसा कहना भी लाजमी है। चूंकि कोरोना के आंकड़े देश भर में डराने वाले ही हैं। रोज हो रही नई खोजें भी डरा रही हैं। तर्क दिया जार रहा है कि जो कोरोना से जंग जीत सही हो रहे उनके आंकड़े मीडिया दिखाये। यानी जो मर गये उनके बारे में नही बताये।
बड़ा सवाल यह है कि मीडिया क्या दरबारी कवि की भूमिका में आ जाये। यह कहे कि ‘मोदी राज’ में सब बेहतर हो रहा है। मरने वालों से अधिक ठीक होने वालों की संख्या है। आप डरें नही कोरोना मामूली ज्वर है। याद रखिये कोरोना की पहली लहर बीतने पर यही सब हुआ था। वीडियो वायरल हुए थे कि कोरोना कुछ नही है। यह महज सर्दी—जुखाम है। मरने वालों के आंकड़े छुपाये गये। फिर अब दूसरी लहर में उसका परिणाम भी साफ दिख रहा है।
आज पूरा देश न केवल कोरोना संक्रमण की चपेट में है, बल्कि मौतों का आंकड़ा अमेरिका को भी मात दे गया है। अलबत्ता प्रश्न यही है कि क्या मीडिया कोरोना से हो रही मौतों, नए शोधों को छुपाये या हकीकत दिखाये। फैसला आपके हाथ में है। जनता जो चाहेगी वही होगा।