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लालकुआं : किसानों पर लाठीचार्ज करने वाली हरियाणा की खट्टर सरकार शर्म करो – माले

लालकुआं। हरियाणा की भाजपा सरकार द्वारा किसानों पर हुए लाठीचार्ज के खिलाफ और किसानों को गुलामी की ओर धकेलने वाले तीन अध्यादेशों आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम, कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य अध्यादेश, मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा संबंधी किसान समझौता अध्यादेश को मोदी सरकार से वापस लेने की मांग पर अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय आह्वान पर किसान महासभा और भाकपा (माले) कार्यकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से प्रदर्शन किया गया और हरियाणा की खट्टर सरकार का पुतला दहन किया गया।

इस अवसर पर किसान महासभा के बिन्दुखत्ता सचिव पुष्कर दुबड़िया ने कहा कि, “मोदी सरकार ने आने के बाद से ही किसान विरोधी विरोधी नीतियों को अपनाया है और अब किसान विरोधी तीन अध्यादेश लाकर मोदी सरकार ने दिखा दिया है कि यह सरकार पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए किस हद तक जा सकती है। इस तीन अध्यादेशों के कानून बनने के बाद किसान निजी पूंजी और पूंजीपतियों के मोहताज हो जाएंगे। पहले ही कृषि में घाटे और संकट की मार झेल रहा देश का किसान कॉरपोरेट फार्मिंग, मंडियों को पूर्णतः बाजार के हवाले करने और किसान की फसल का दाम पूंजीपतियों द्वारा निर्धारित किये जाने से पूरी तरह पूजीपतियों के रहमोकरम पर होगा जो कि देश के अन्नदाता को गुलामी की ओर धकेलने जैसी बात होगी।”

भाकपा (माले) जिला सचिव डॉ कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “मोदी सरकार कोरोना आपदा का अवसर के रूप में इस्तेमाल मजदूर किसान विरोधी नीतियों को लागू करने, सार्वजनिक क्षेत्र का बेतहाशा निजीकरण करने और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं, एक्टिविस्ट, बुद्धिजीवी, छात्रों का दमन करने में कर रही है। बार बार अपने को किसान हितैषी बताने वाले मोदी लगातार किसानों को नुकसान पहुंचाने वाली नीतियों को आगे बढ़ा रहे हैं इससे स्पष्ट हो जाता है कि मोदी सरकार के लिए किसानों का नहीं बल्कि अपने चहेते पूंजीपतियों का हित सर्वोपरि है।”

उन्होंने कहा कि, “किसानों को उनकी फसल का डेढ़ गुना दाम देने, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने और किसानों की आत्महत्याओं पर रोक लगाने के वादे के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून में किसान विरोधी संशोधन से लेकर वर्तमान में तीन अध्यादेशों को लाकर अपने किसान विरोधी चरित्र को उजागर कर दिया है। मोदी सरकार के इस किसान विरोधी फैसले के खिलाफ सभी लोगों को किसानों के पक्ष में खड़ा होना वक्त की मांग है।”

माले के बिन्दुखत्ता सचिव ललित मटियाली ने कहा कि, “इन अध्यादेशों से किसानों की हालत तो खराब होगी ही लेकिन इनसे जमाखोरी, कालाबाजारी बढ़ेगी जिसके चलते महंगाई बढ़ने से आम जनता का जीवन भी कष्टकारी होगा।”

प्रदर्शन के माध्यम से हरियाणा की खट्टर सरकार द्वारा इन अध्यादेशों की वापसी की मांग कर रहे किसानों पर बर्बर लाठीचार्ज की निंदा करते हुए मांग की कि मोदी सरकार किसान विरोधी जनविरोधी इन तीनों अध्यादेशों को तत्काल प्रभाव से वापस ले।

प्रदर्शन कार्यक्रम में पुष्कर दुबड़िया, डॉ कैलाश पाण्डेय, विमला रौथाण, ललित मटियाली, नैन सिंह कोरंगा, स्वरूप सिंह दानू, हरीश भंडारी, राजेंद्र शाह, विनोद कुमार, कमल जोशी, नारायण नाथ गोस्वामी, पनी राम, हरीश राम, पान सिंह कोरंगा, गोविंद कोरंगा, कुंवर सिंह चौहान, मोहन सिंह थापा, गोपाल बोरा, विनोद टम्टा, हरीश टम्टा, आनंद सिंह दानू, सुरेंद्र खडाई, नैन सिंह, नारायण सिंह आदि मौजूद थे।

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