कविता — गर्मी, कोहरा और अल्मोड़ा की सुबह

इस साल मई माह में अल्मोड़ा के मौसम पर कवीन्द्र पंत की कविता — सुबह—सुबह चादर दुग्ध धवल कोहरे ने फिर से तानी हैलौट आई गर्मी में फिर से सर्द हवाओं की वही रवानी हैपुनः—पुनः लौट—लौट यह सर्दी की कैसी मनमानी हैगर्मी को चेताने की फिर क्यों कर सर्दी ने ठानी है। दूर—दूर तक जहां … Continue reading कविता — गर्मी, कोहरा और अल्मोड़ा की सुबह