सुयालबाड़ी से अनूप सिंह जीना की रिपोर्ट
यहां अल्मोड़ा—हल्द्वानी राष्ट्रीय राजमार्ग में चल रहे सड़क चौड़ीकरण के कार्य के दौरान निर्धारित डंपिंग जोन होने के बावजूद सड़क व पहाड़ कटान का तमाम मलुवा कोसी नदी में फेंके जाने के आरोप लग रहे हैं। स्थानीय नागरिकों व सड़क मार्ग से गुजरने वालों का यह आरोप है कि जीवन दायनी कोसी नदी इससे प्रदूषण की चपेट में आ रही है। साथ ही मानसून सीजन के दौरान यह भीषण प्राकृतिक आपदा को न्योता देने का कार्य है।
उल्लेखनीय है कि एनएच 87 एक वीआईपी मार्ग की श्रेणी में आता है। यहां से नित्य सैकड़ों वाहन गुजरते हैं। कुमाऊं की व्यापारिक मंडी हल्द्वानी से अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, लोहाघाट, चंपावत आदि को जोड़ने वाला यह महत्वपूर्ण मार्ग है। विगत वर्षों में इस एनएच ने कई भीषण प्राकृतिक आपदाओं को झेला है। जिसका खामियाजा मार्ग अवरूद्ध होने के बाद समय—समय पर नागरिकों को झेलना पड़ा है। पूर्व में भी वृहद स्तर पर हुए सड़क चौड़ीकरण के दौरान कई कामगारों व राहगीरों को अपनी जान देकर इस विकास कार्य की कीमत चुकानी पड़ी थी। खैर, हम यहां उल्लेख कर रहे हैं इन दिनों काकड़ीघाट से आगे की ओर चल रहे सड़क चौड़ीकरण के कार्य की। कार्य के दौरान सड़क कटान जोरों पर हो रहा है। सरकार के आदेश पर चल रहे इस विकास कार्य का लाभ निश्चित रूप से आम जनता को मिलेगा। किंतु इसका अर्थ यह कतई नही है कि विकास के नाम पर विशान को दावत दी जाये। यदि स्थानीय नागरिकों की मानें तो यहां पहाड़ व सड़क कटान का ढेरों मलुवा नदी में डाल दिया जा रहा है। जिसका खामियाजा मानसून सीजन में दिखने की सम्भावना है। नदी के मुहाने में जमा यह सैकड़ों टन मलुवा किसी भयंकर प्राकृतिक आपदा को निमंत्रण दे सकता है। यही नही इससे कोसी नदी भी प्रदूषित हो रही है।
निर्धारित किए हैं डंपिंग जोन, कहीं अन्य मलुवा डालने पर करेंगे उपयुक्त कार्रवाई : एई
सीएनई के इस संवाददाता की विभाग के सहायक अभियंता ललित तिवारी से वार्ता हुई। जिसमें उन्होंने साफ कहा कि डंपिंग जोन नवोदय विद्यालय के बैंड तथा नैनी पुल से आगे क्वारब पर बने हैं। यदि इन निर्धारित डंपिंग जोन के अतिरिक्त कहीं मलुवा नदी में फैंका जा रहा है तो इसकी जांच होगी और इस तरह का काम रूकवा दिया जायेगा।
पेड़ों का भी हो रहा कटान
सड़क चौड़ीकरण के दौरान बड़ी संख्या में पेड़ों का कटान भी हो रहा है। कार्य में बाधा बन रहे तमाम पेड़ों का इतनी बड़ी संख्या में कटान को लेकर भी पर्यावरण प्रेमी आवाज़ उठा रहे हैं।