रानीखेत: पर्यावरण संरक्षण में नन्ही गौरैया का बड़ा योगदान
विद्यार्थियों को किया गौरैया संरक्षण एवं तपेदिक उन्मूलन हेतु जागरूक

रानीखेत महाविद्यालय में कार्यक्रम
सीएनई रिपोर्टर रानीखेत
क्या आप जानते हैं कि अकसर आपके घर—आंगन में आने वाली नन्ही चिड़िया गौरेया, आकार में जरूर छोटी है, लेकिन पर्यावरण संतुलन और संरक्षण में इसका बड़ा योगदान रहता है। यह बात यहां राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रानीखेत के जंतु विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यक्रम मेें कही गई।
उल्लेखनीय है कि विश्व गौरैया दिवस 20 मार्च को, वहीं विश्व क्षय रोग उन्मूलन दिवस प्रति वर्ष 24 मार्च को मनाया जाता है। इसी के दृष्टिगत सोमवार को यह दोनों दिवस स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षाओं के विद्यार्थियों के साथ मनाये गये।
कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए प्राध्यापक डॉ. प्रमोद जोशी ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण में छोटी सी गौरैया चिड़िया किस प्रकार अपना योगदान देती है परंतु आज टेलीकोम में प्रयुक्त इलेक्ट्रो मैगनेटिक तरंगों से इस चिड़िया का अस्तित्व खतरे में आ गया है। साथ ही डॉ. जोशी द्वारा टी.बी. बीमारी, इसका इतिहास, कारक एवं बचाव के उपायों पर भी विस्तारपूर्वक चर्चा की गई।

इस अवसर पर बी.एस.सी. चतुर्थ सेमेस्टर के विद्यार्थी वैष्णवी मेहरा, तथा मनोज कुमार तथा एम.एस.सी. द्वितीय सेमेटर से चेतना, मीनाक्षी पिण्डारी एवं तनुजा ने विषय पर गहरी जानकारियां साझा करी। गौरैया संरक्षण एवं टी.बी. रोकथाम एवं उन्मूलन पर विभाग के प्राध्यापक डॉ. अपूर्वा जोशी तथा निहारिका बिष्ट द्वारा महत्वपूर्ण तथ्य एवं विवरण प्रदान किये गये।

कार्यक्रम में विभाग प्रभारी डॉ. दीपा पाण्डेय द्वारा गौरैया चिड़िया का संपूर्ण जीवन चक्र समझाते हुए जैव विविधता में इसके महत्व तथा घेरुलू उपायों द्वारा इनके संरक्षण के तरीकों को समझाया तथा विभिन्न प्रकार के क्षय रोग, इनके कारण, बचाव एवं उपचार पर विस्तृत व्याख्यान दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रमोद जोशी द्वारा किया गया।