उपलब्धि: कौसानी निवासी सैन्य अधिकारी प्रशांत ‘सेना मेडल’ से नवाजे जाएंगे
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— गरीबी से उठे और बने सैन्य अफसर, अब उत्कृष्ट कार्य पर सम्मान
— राष्ट्रपति की घोषणा के बाद पूरे गांव में दौड़ी खुशी की लहर
सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर: Gallantry Awards: जिले के कौसानी निवासी युवा सैन्य अधिकारी मेजर प्रशांत भट्ट को सेना मेडल से सम्मानित करने की घोषणा गणतंत्र दिवस 2023 की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने की है। राष्ट्रपति की इस घोषणा पर उनके गांव में खुशी की लहर दौड़ गई है। मेजर प्रशांत के पिता भुवन मोहन भट्ट सेवानिवृत इंजीनियर और माता किरन भट्ट गृहणी हैं।
मेजर प्रशांत भट्ट की शिक्षा-दीक्षा
युवा सैन्य अधिकारी मेजर प्रशांत भट्ट की प्रारंभिक शिक्षा कौसानी के शिशु मंदिर में हुई। कक्षा पांच के बाद उनका चयन सैनिक स्कूल घोड़ाखाल में हुआ, लेकिन उनके पिता की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण उन्होंने प्रशांत का नवोदय विद्यालय ताड़ीखेत में चयन होने पर वहीं प्रवेश करा दिया। प्रशांत ने हार नहीं मानी और नौवीं कक्षा के लिए सैनिक स्कूल घोड़ाखाल के लिए प्रयास किया। वह फिर से चयनित हो गए। उनके पिता भुवन मोहन भट्ट ने प्रयास कर प्रशांत को वहां भेज ही दिया। सैनिक स्कूल से 12वीं पास करने के बाद प्रथम प्रयास में प्रशांत का चयन 2014 में भारतीय सेना स्पेशल फोर्स में हो गया। बाद में कमीशंड मिलने पर वह मेजर के पद पर पहुंचे। प्रशांत को भारत सरकार ने कुशल नेतृत्व, कर्तव्य परायण, साहस और संवेदनशील मुद्दों को सरलता से हल करने पर सेना मेडल से सम्मानित करने की घोषणा की है।
दादा से मिली देशभक्ति की प्रेरणा
मेजर प्रशांत को देश सेवा एवं देश भक्ति की प्रेरणा उनके दादा सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य स्व. हरी दत्त भट्ट से मिली। उनके दादाजी प्रशांत को वीर जवानों की गाथा बार-बार सुनाया करते थे। जिससे मेजर प्रशांत बाल्यावस्था से ही देश सेवा में जाने को उत्सुक हो उठे। उनकी इस उपलब्धि पर कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास, भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता एवं पूर्व जिलाध्यक्ष शिव सिंह बिष्ट, पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण, गिरीश कांडपाल, मनोज आर्य, गोपाल दत्त भट्ट, बीडी जोशी, एडवोकेट कृष्णा सिंह बिष्ट, बिपिन चंद्र उप्रेती समेत अनेकों ने खुशी जाहिर कर मेजर प्रशांत भट्ट के उज्जवल भविष्य की कामना की है।
उपलब्धि पर हर्ष का माहौल
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड सरकार ने सेना मेडल प्राप्त वीर जांबाज सैनिकों को पुरस्कार के तौर पर एकमुश्त 15 लाख और हर वर्ष 50,000 और भारत सरकार से भी लगभग इतनी ही धनराशि वीर जवानों को दी जाती है। मेजर प्रशांत भट्ट की इस उपलब्धि पर सरस्वती शिशु मंदिर कौसानी सहित पूरा क्षेत्र अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहा है।