सीएनई संवाददाता, अल्मोड़ा
तिथि : 11 सितंबर, 2020
शुक्रवार को नवमी के श्राद्ध पर कई लोग निकटवर्ती ज्योली में स्थित गुरुकुल गौशाला पहुंचे। जहां घरों से गौ ग्रास के रुप में विविध पकवान ले गए और पितरों की तृप्ति के लिए गौशाला में मौजूद गायों को यह ग्रास अपने हाथों से खिलाया। कुछ लोग इन गौवंशीय पशुओं के लिए हरा चारा लेकर भी पहुंचे। उन्होंने श्राद्ध व तर्पण के साथ ही गौग्रास देकर महज पुण्य ही नहीं कमाया, बल्कि गौ सेवा व गौरक्षा का संदेश भी दे डाला।
खासकर पितरों की तृप्ति के लिए गौ माता को गौग्रास के रुप में विविध पकवान व फल देने की परंपरा दशकों से चली आ रही है। मान्यता है कि श्राद्ध व तर्पण करने के साथ ही ऐस करने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनकी आत्मा को शांति प्राप्त होती है। इसी मान्यता के अनुरूप कार्य कर लोग पुण्य कमाते आ रहे हैं। इसी बात को समझाते हुए गौशाला ट्रस्ट ज्योली गुरुकुल ने हाल में लोगों से श्राद्ध पक्ष में ज्योली गौशाला में गौग्रास देने अपील की थी। जिसका असर इस श्राद्ध पक्ष में दिख रहा है। गत दिवस अष्टमी व आज नवमी को अल्मोड़ा, ज्योली व आसपास के कई लोग ज्योली स्थित गौशाला पहुंचे और उन्होंने गौवंशीय पशुओं को गौग्रास परोसकर पुण्य कमाया। बकायदा गौ रक्षा व गौ सेवा का संदेश देते हुए हरी घास भी ले गए। ट्रस्ट के संस्थापक सचिव दयाकृष्ण काण्डपाल ने कहा कि यह अच्छी पहल है। गौ शाला में जाकर गौग्रास देने वालों में कर्मचारी नेता चन्द्रमणि भट्ट, गौशाला ट्रस्ट के संस्थापक सचिव दयाकृष्ण कांडापाल, कोषाध्यक्ष पूरन चन्द्र तिवारी, यशवन्त परिहार, जानकी काण्डपाल, मनोज सनवाल, विपिन चन्द्र पन्त, मनोज लोहनी समेत आसपास के कई लोग शामिल हैं।
अल्मोड़ा : गौ—ग्रास व हरी घास लेकर पहुंचे ज्योली गौशाला, पितरों को किया तृप्त और जगाई गौसेवा व गौरक्षा की अलख
सीएनई संवाददाता, अल्मोड़ातिथि : 11 सितंबर, 2020शुक्रवार को नवमी के श्राद्ध पर कई लोग निकटवर्ती ज्योली में स्थित गुरुकुल गौशाला पहुंचे। जहां घरों से गौ…