हल्द्वानी। “आशाओं और अन्य स्कीम वर्कर्स को न्यूनतम वेतन, स्थायीकरण, लॉकडाउन भत्ता, पेंशन, बीमा सुरक्षा और सम्मान के मुख्य सवालों पर राष्ट्रीय स्तर पर स्कीम वर्कर्स यूनियनों व आशाओं के राष्ट्रीय फेडरेशनों ने संयुक्त रूप से 7-8-9 अगस्त को अपनी मांगों के संबंध में तीन दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया है। हड़ताल की मुख्य मांगें लॉकडाउन भत्ता, मासिक वेतन, कर्मचारी का दर्जा आदि के अतिरिक्त इसमें राज्य स्तर की अन्य मांगें भी जोड़ी जायेंगी। उत्तराखंड राज्य में आशाओं के सवालों को उठाते हुए ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन द्वारा भी तीन दिन की राष्ट्रीय हड़ताल में सक्रिय भागीदारी करते हुए शारीरिक दूरी के मानकों का पालन करते हुए धरना-प्रदर्शन व पूर्ण कार्य बहिष्कार किया जायेगा।”
ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के प्रदेश महामंत्री डॉ कैलाश पाण्डेय ने बताया कि, “7-8-9 अगस्त को होने वाली तीन दिवसीय हड़ताल में कोरोना महामारी के समय अग्रिम पंक्ति की योद्धा आशाओं की उपेक्षा मुख्य मुद्दा रहेगी। आशाओं ने इस महामारी की शुरुआत से ही बिना किसी सुरक्षा उपकरण के अपनी जान हथेली में रखकर ड्यूटी निभाई लेकिन केंद्र और राज्य सरकार आशाओं सर्वे और काम का बोझ तो लगातार बढ़ा रही हैं लेकिन काम का दाम मांगने पर उनको साँप सूंघ जाता है यह कैसा न्याय है? इस अन्याय के खिलाफ विरोध दर्ज करना और अपनी मांगों को उठाना आशाओं का संविधान प्रदत्त अधिकार है।”
उन्होंने कहा कि, “हड़ताल में आशाओं के सम्मान का सवाल भी प्रमुखता से उठाया जाएगा। राज्य सरकार द्वारा अधिकारी कर्मचारियों को निर्देश दिया जाय कि आशाओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार करें। आशाओं के साथ किसी भी किस्म का असम्मानजनक रवैया बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।”
7-8-9 अगस्त की तीन दिवसीय हड़ताल व प्रदर्शन को ऐतिहासिक रूप से सफल बनाने हेतु तैयारी को लेकर सभी जिलों में तैयारियां और प्रचार अभियान किया जा रहा है। ऐक्टू से संबद्ध आशा यूनियन अपने पीएचसी,कार्यस्थल, ब्लॉकों, जिला मुख्यालय के स्तर पर जो जहाँ धरना प्रदर्शन कर सकते हैं करेंगे। कोरोना संक्रमण के चलते सभी किस्म के धरना प्रदर्शन शारीरिक दूरी के मानकों का पालन करते हुए मास्क पहनकर किये जायेंगे।