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बागेश्वर न्यूज : घोड़ों के लिए नहीं घास, गधे मांगे च्वयनप्राश जैसे हालात हो गए हैं स्वजल में

बागेश्वर। सोचिए अगर पूरे महीने आप काम करें और आखिरी में आपको सैलरी न मिले, तो आपके दिल में क्या बीतेगी। कोरोनाकाल में कुछ महीनों की देर तो समझ में आती है। विगत सात महीनों से सैलरी ना आये तो सरकार की लापरवाही को आप समझ सकते हैं। ऐसी परेशानी से दो चार हो रहे हैं ग्रामीण पेयजल एवं स्वच्छता विभाग स्वजल बागेश्वर के कर्मचारी। जिन्हें पिछले सात महीनों से वेतन नहीं मिला है। कर्मचारियों की माली हालात इतने खराब हो चुकी है कि दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना भी मुश्किल हो रहा है। हद तो तब हो गई जब निदेशालय ने कर्मचारियों को आश्ववासन देना भी मुनासिब नहीं समझा।

आज स्वजल बागेश्वर के कर्मचारी अनिश्चतकालीन कार्य बहिष्कार पर चले गए हैं। उन्होंने काला फीता बांह में बांध कर अपना विरोध जताया। कर्मचारियों का कहना है कि जब तक सात महीनों का वेतन नहीं दिया जाएगा तब तक कोई भी विभागीय कार्य नहीं किया जाएगा। कर्मचारियों ने बताया कि बीते कई महीनों से घर का किराया,बच्चों के स्कूल की फीस आदि तक नहीं दे पा रहे हैं।

आर्थिक कमजोरी अब मानसिक तौर पर भी परेशान करने लगी है। वहीं एक परेशान कर्मचारी ने कहा कि घोड़ों के लिए नहीं घास, गधे मांगे च्वयनप्राश जैसे हालात हो गए है। भारत सरकार की सबसे महत्तवकांक्षी जल जीवन योजना मिशन की मॉनिटरिंग संस्था स्वजल के ये हाल है तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि प्रदेश सरकार इस योजना को लेकर कितनी गंभीर है और सवाल ये उठता है कि ऐसी स्थिती में दिसंबर तक कैसे इस योजना पर सरकार सिरे चढ़ा सकेगी।

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