धर्म—आध्यात्म : कुमाऊं के घट—घट में विराजते हैं लोक देवता ! भूमिया, सैम, छुरमल की छत्रछाया, गोलू देवता के चमत्कारों व शक्ति के होते हैं साक्षात दर्शन

उत्तराखंड। कुमाऊं अंचल सदियों से लोक देवताओं का उपासक रहा है। समय—समय पर देवताओं के चमत्कारों के यहां ढेरों प्रमाण हैं। कुमाऊं में भगवान शिव,…

उत्तराखंड। कुमाऊं अंचल सदियों से लोक देवताओं का उपासक रहा है। समय—समय पर देवताओं के चमत्कारों के यहां ढेरों प्रमाण हैं। कुमाऊं में भगवान शिव, कृष्ण, दुर्गा, हनुमान आदि के मंदिर के अलावा तमाम ऐसे स्थानीय लोकदेवताओं के मन्दिर हैं, जो गांव-गांव में ईष्टदेव के नाम से पूजे जाते हैं।
इन प्रमुख देवताओं में भूमिया, सैम, छुरमल, सहित ग्वल या गोलू देवता के प्रति लोगों की अपार आस्था है। इन सबके अतिरिक्त विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय देव पूजन की अनूठी परंपरा विद्यमान है। जहां तक गोलू देवता का जिक्र आता है खास तौर पर घोड़ाखाल, चितई, चम्पावत, और पट्टी कैडरों में उदयपुर पर्वत पर चंद्र राजाओं के समय में इन्हें स्थापित किया गया है। बाला गोरिया यानि गौरभैरव या गोल्ल देवता की अपनी एक अलग पहचान एवं दैवीशक्ति है। यह राजसी देवता हैं। इनका स्वरूप अचकन और पगड़ी धारी राजा के समान है, जिनके गले में सोने के मनकों की माला है। हाथ में सोने की तलवार है और यह सर्वत्र सफेद घोड़े पर सवार होकर अपने परमभक्तों को दर्शन भी देते रहते हैं। इन्हें न्यायकारी, कृष्णावतारी एवं दूधाधारी आदि विशेषणों से विभूषित किया गया है। जल्दी न्याय देने में ये विश्वास रखते हैं। कहा जाता है कि यदि कोई सच्चे मन से ग्वल देवता को संकट के समय में पुकारे तो वह अवश्यक उसकी मदद करते हैं। यही नही यदि कोई सत्यनिष्ठ व्यक्ति बलशाली द्वारा अकारण प्रताड़ित किया जा रहा हो, कोर्ट—कचहरी व पुलिस उसकी फरियाद न सुनें तो भी वह नि:संकोच न्याय देवता गोलू की शरण में जा सकता है। इतिहास साक्षी है कि आज तक ग्वल देवता के दरबार में कभी अन्याय नही हुआ। यही मान्यता उत्तराखंड के कुमाऊं जनपद को प्राचीन काल से ही आत्म शक्ति प्रदान करती आई है।
लोक आस्था के केंद्र में एक मंदिर चमड़खान का गोलज्यू मंदिर भी है। जहाँ गोलू देवता के चरणों की पूजा होती है। पूरे गढ़-कुमाऊँ में यह गोलू देवता का पहला ऐसा मंदिर है जहाँ उनके चरण पूजे जाते हैं। यह मंदिर अल्मोड़ा जिले के रानीखेत से लगभग 22 किमी. ताडीखेत, रामनगर, चमड़खान मोटर मार्ग पर स्थित है। मान्यता है कि यहाँ गोलू देवता ने एक सप्ताह तक अपना न्याय दरवार लगाया! लोगों ने गुहार लगाईं कि अब आप यहीं विराजमान रहे तब गोलू देवता ने अपनी चरण पादुकाएं यहीं छोड़ दी व कहा कि जब भी किसी के साथ कोई अन्याय हो वो मुझे स्मरण करे। मंदिर परिसर से लगभग 500 मीटर तक की दूरी पर एक भी चीड़ का पेड़ ऐसा नहीं है जो कोई नया पनपा हो। इस पर स्थानीय लोगों का मत है कि ये पेड़ उसी काल से यहाँ खड़े हैं जब गोल्जू देवता की यहाँ कालांतर में स्थापना की गयी। तब से न आस—पास कोई नया पेड़ ही जन्म लेता है और न ही इन पेड़ों के टूटने से कभी कोई अप्रिय घटना जनमानस में घटित हुई है।


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