अल्मोड़ा। जिला प्रशासन की ओर से पत्रकार अमित उप्रेती पर आपदा प्रबंधन एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करने पर उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि बिना ठोस तथ्यों के आरोपित की गिरफ्तारी नहीं की जा सकती। जिला प्रशासन की ओर से दर्ज मुकदमें को बिना ठोस तथ्य और प्रमाणों की रिपोर्ट करार दिया है। पत्रकार अमित उप्रेती की ओर से अधिवक्ता स्निधा तिवारी ने मामले में ठोस पैरवी करते हुए बिहार राज्य बनाम अरनेश कुमार प्रकरण की नजीर पेश की और सिद्ध सीआरपीसी 41 (ए) नजर अंदाज किया जा रहा है। समेत तमाम तर्क एवं उदाहरण पेश कर अदालत में प्रशासन की कार्यवाही को एकतरफा एवं द्वेषपूर्ण कार्यवाही करार कर दिया। मामले में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के माननीय न्यायाधीश लोकपाल सिंह द्वारा इस गिरफ्तारी को रोकते हुए जांच अधिकारी से ठोस जांच कर ठोस तथ्य प्रस्तुत करने को कहा है। और वर्ष 2010 में सीआरपीसी संसोधन कर सीआरपीसी 41 (ए) में स्पष्ट करते हुए कहा है कि सात साल से कम सजा वाले अपराध में आरोपी को गिरफ्तारी पूर्व नोटिस देना और उसका पक्ष सुनना और उसके खिलाफ तथ्य एकत्र करना अनिवार्य होता है। फर्जी एफआईआर लगाम लगाने के लिए यह संशोधन लाया गया है। ज्ञात हो कि इलैक्ट्राॅनिक मीडिया के पत्रकार अमित उप्रेती ने अपने समाचार चैनल में कोरोना काल में परेशान प्रवासी यात्रियों से जुड़ा समाचार प्रसारित किया था। जिसमें बारह से आए प्रवासी यात्रियों की परेशानी और जिला प्रशासन की अनदेखी को उद्घाटित किया गया था।
यह है निर्णय की कॉपी —