बागेश्वर। इंसान का जब बुरा वक़्त आता है तो हर तरफ से बस उसे दिशा से मार ही पड़ती है। कुछ ऐसे ही बेबस और लाचार महसूस कर रहे हैं बिलौना के मनोज कुमार… मनोज एक सामान ढोने वाला ट्रैवलर चलाते हैं और अभी तीन दिन पहले उनकी गाड़ी का एक्सीडेंट हुआ है। उन्हें इसमें काफ़ी गंभीर चोटें आई… पैर फैक्चर हो गया हाथ में रॉड लगनी है।
वो इस समय हॉस्पिटल में भर्ती हैं और अपने मालिक से कुछ उम्मीद की आस लगाये थे… लेकिन अब वो भी खत्म हो गई। जब मालिक ने कहा कि में कोई भी इलाज का खर्च नहीं उठा सकता हूँ, तुम्हें जो करना है वो कर लो। मनोज बताते हैं कि बाइक वाले को बचाने के लिए ब्रेक मारे लेकिन गाड़ी में ब्रेक कम होने के कारण ब्रेक नहीं लगे। गाड़ी सीधे दीवार से जा टकरायी। इसे पहले भी एक दो बार गाड़ी के ब्रेक फेल हुए और उनकी बामुश्किल जान बच सकी। उनका कहना है कि मालिक से कई बार गाड़ी की की फिटनेस का लेकर के बात की थी लेकिन हर बार उन्होंने ध्यान नहीं दिया ।
आज हालात ऐसे हैं कि मनोज के पास इलाज करने के लिए रुपये तक नहीं हैं। सरकारी अस्पताल में भी पैसे लगते हैं। मायूस मनोज बताते हैं की पूरे परिवार का ख़र्च उनके द्वारा उठाया जाता है। अब हाथ में रॉड पड़ने पर ड्राइवरी भी नहीं कर सकता। अभी इलाज की चिंता तो है ही साथ में भविष्य को लेकर भी असमंजस की स्थिति है कैसे परिवार का खर्च चलेगा। वहीं मनोज के बेबस पिता रामलाल बताते हैं कि मालिक ने कोई भी मदद के लिए साफ मना कर दिया है। अस्पताल में बीपीएल कार्ड में नाम होने पर कुछ कम पैसे लगते, लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद भी मनोज का नाम राशन कार्ड में नहीं चढ़ा। अगर सरकारी अस्पताल में भी गरीब इंसान को समय रहते इलाज ना मिले और उसमें भी राजनेताओं से इलाज के लिए गुहार लगानी पड़े तो इसे बड़ी बेबसी और लाचारी क्या हो सकती है।