दर्द से तड़पते घायल सांड की मदद को पहुंच गए फरिश्ते ! पढ़िए पूरी कहानी
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सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा। बीते कई रोज से घायल अवस्था में घूम रहे सांड का रेस्क्यू कर लिया गया है। पशु प्रेमी एडवोकेट कामिनी कश्यप की पहल पर वन विभाग द्वारा इसे ट्रेंकुलाइज किया गया। अर्द्ध बेहोशी की हालत में आए लगभग 04 कुंतल के सांड को काबू करने में दो पशु चिकित्सक सहित लगभग 13 लोग अपनी जान पर खेल गए।
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घायल सांड के रेस्क्यू की पूरी कहानी
दरअसल, पशु प्रेमी एडवोकेट कामिनी कश्यप के पास सूचना आई कि एक सांड घायल अवस्था में इधर-उधर घूम रहा है और काफी तकलीफ में है। सांड की लोकेशन एनटीडी व जेल के आस-पास बताई गई थी। सूचना के आधार पर पशु प्रेमी कामिनी कश्यप ने पशु चिकित्साधिकारी डॉ. सुरेंद्र सिंह गर्ब्याल से संपर्क किया। जिसके बाद प्रथम जांच में यह बात सामने आई कि उक्त सांड लगभग चार कुंतल वजनी है और उसके गुप्तांग में चोट है। जिसमें कीड़े पड़ चुके हैं। यदि जल्द ही उसका रेस्क्यू कर उपचार नहीं किया गया तो उसकी जान भी जा सकती है।
संकट मोचक की भूमिका में पहुंचे वन दरोगा भुवन लाल
एडवोकेट कामिनी कश्यप की पहल पर पशु चिकित्साधिकारी, नगर पालिका के कार्मिक व कुछ स्वयं सेवी युवक इस मिशन के लिए तैयार हो गए। अब दिक्कत यह पेश आई कि इस सांड को काबू में कैसे किया जाये। अतएव वन विभाग को मामले की सूचना दी गई। जिसके बाद वन दरोगा भुवन लाल टम्टा मौके पर पहुंच गए। इस बीच जेल के पास इस सांड को पहले ही प्रयास में भुवन लाल ने ट्रेंकुलाइज कर लिया। उनके द्वारा छोड़ा गया डॉट तो ठीक निशाने पर लग गया। इसके बावजूद सांड काफी तेज गति से अपने आश्रय स्थल की ओर चल दिया। इस बीच करीब दर्जन भर लोगों ने अपनी जान पर खेल इस सांड को काबू में किया और उसे जमीन में लेटा दिया।
अर्द्ध बेहोशी की हालत में किया गया उपचार
जेल की बाउंडरी में एक पुराने कमरे में रहने वाले इस सांड का फिर उपचार शुरू हो गया। पशु चिकित्साधिकारी डॉ. सुरेंद्र सिंह गर्ब्याल व एनटीडी से आए डॉ. धर्मसत्तू ने पाया कि गुप्तांग में किसी कंटीले तार से सांड गहरी चोट लगी है। घाव में कीड़े पड़ चुके थे। जिस कारण यह सांड बहुत परेशानी की हालत में था। फिर चोट की साफ-सफाई कर उसे इंजेक्शन लगाए गए। साथ ही खाने की दवा भी दी। जिसे आटे में डाल कर खिलाने की जिम्मेदारी एक स्थानीय व्यक्ति को सौंप दी गई है। एडवोकेट कामिनी कश्यप के अनुसार सांड के स्वास्थ्य पर नजर रखी जा रही है। यदि वह ठीक नहीं हुआ तो उसे वह अपने संरक्षण में ले लेंगी व उपचार आगे भी जारी रहेगा।
इन लोगों ने दिया बड़ा सहयोग
सांड के रेस्क्यू में पशु प्रेमी कामिनी कश्यप ने बड़ी भूमिका निभाई। साथ ही वन दरोगा भुवन लाल टम्टा, दुगालखोना निवासी सोनू बिष्ट व चिकित्सकों सहित पालिका कर्मचारियों व स्थानीय युवाओं ने बड़ी भूमिका निभाई। फिलहाल यह सांड जेल परिसर में एक टूटे-फूटे कक्ष में रह रहा है। इधर तमाम लोगों ने सांड के सफल रेस्क्यू कर उसका उपचार करने पर पूरी टीम की प्रशंसा की है।
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