AlmoraCNE SpecialUttarakhand

बडन मैमोरियल चर्च: इतिहास के गवाह ने तय किया 125 बरस का सफर

—सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा की एक शान है ये चर्च
—आज ही के दिन सन् 1897 में हुआ था निर्माण पूरा
—ऐतिहासिक एवं वास्तुकला का अद्भुत नमूना
चन्दन नेगी, अल्मोड़ा
दो मार्च 1897 में उत्तराखंड की सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में स्थित भव्य एवं ऐतिहासिक बडन मैमोरियल चर्च ने आज 125 साल का सफर पूरा कर लिया है। बडन मेमोरियल चर्च ऐतिहासिक तथा वास्तुकला का अद्भुद नमूना है, जो पर्यटकों को बरबस अपनी ओर खींचता है। (आगे पढ़ें)

फ्रांस सृजित गोथिक (इंडो-यूरोपियन) शैली से बने बडन मैमोरियल चर्च अल्मोड़ा में पूरी तरह स्थानीय पत्थर का इस्तेमाल हुआ है। यह गिरिजाघर शहर के एलआर साह मार्ग में मल्ला कसून में स्थित है, जहां से इस सांस्कृतिक नगरी का मनोहारी नजारे का दृश्यावलोकन होता है। इस चर्च के भवन की ऊंचाई लगभग 30 मीटर और लंबाई करीब 40 मीटर है। गिरजाघर की क्षमता है कि यहां एक साथ बैठकर तीन सौ से अधिक लोग प्रार्थना कर सकते हैं। ब्रिटिश शासनकाल में 19वीं सदी के अंतिम दशक में बना बडन मेमोरियल चर्च ऐतिहासिक तथा वास्तुकला का अद्भुद नमूना है। बड़ी संख्या में पर्यटक इसका अवलोकन करने यहां पहुंचते हैं। (आगे पढ़ें)

दरअसल, 19वीं शताब्दी में अल्मोड़ा मिशन के पादरी जेएच बडन रहे और उन्हीं की याद में उनके परिजनों ने बडन मेमोरियल चर्च का निर्माण कराया था। बडन मैमोरियल चर्च अल्मोड़ा 2 मार्च 1897 में बनकर तैयार हुआ था।यह गिरजाघर मैथोडिस्ट चर्च आफ इंडिया से संबद्ध है और नार्थ इंडिया रिजन बरेली से संचालित है। इतिहासविद् डॉ. विद्याधर सिंह नेगी के अनुसार अल्मोड़ा स्थित यह गिरजाघर उत्तराखंड का दूसरा मैथोडिस्ट चर्च है। चर्च की विशेषता है कि इसकी निर्माण शैली और काष्ठ कला की बारीकी व सुंदरता विचलित मन को शांत करने की क्षमता रखती है। डॉ. नेगी के अनुसार जिस गोथिक शैली में चर्च बना है, वह शैली फ्रांस में 12वीं सदी से शुरू हुई और 16वीं शताब्दी तक इस शैली का पूरे यूरोप में प्रचलन रहा। ब्रिटिश साम्राज्य के वैभवशाली अतीत का प्रतीक इस चर्च का हाल के वर्षों में सौंदर्यीकरण हुआ है, लेकिन इसे और अधिक सजाने व संवारने की जरूरत है। मालूम हो कि वर्ष 13 मई 2003 को भीषण तूफान में इस चर्च की छत उड़ गई थी। जिससे भवन को क्षति पहुंची थी। इसके बाद वर्ष 2004 में इसकी मरम्मत व सौंदर्यीकरण का कार्य भी हुआ है। (आगे पढ़ें)

यहां उल्लेखनीय है कि इस चर्च ने अपने निर्माण के बाद आज 125 सालों का सफर तय कर लिया है। जो अपने आप में बड़ी बात है। स्थापना के 125 साल के उपलक्ष्य में आज इस चर्च को सजाया गया है और आज अपराह्न चार बजे से यहां विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Back to top button
किचन गार्डन में जरूर लगाएं ये पौधे, सेहत के लिए भी फायदेमंद Uttarakhand : 6 PCS अधिकारियों के तबादले शाहरूख खान की फिल्म डंकी 100 करोड़ के क्लब में शामिल हिमाचल में वर्षा, बर्फबारी होने से बढ़ी सर्दी Uttarakhand Job : UKSSSC ने निकाली 229 पदों पर भर्ती