CNE (Creative News Express) DESK
सरकारी द्वारा सैन्य भर्ती के नियम में बदलाव करते हुए अग्निपथ योजना को लागू कर दिया है। भले ही केंद्र व राज्य सरकार योजना की कितनी ही तारीफ करे, लेकिन इसको लेकर युवाओं के भारी विरोध ने सत्ता को चौंकाना शुरू कर दिया है। बिहार से शुरू हुआ विरोध सभी राज्यों में फैलने लगा है। उत्तराखंड में भी युवा अब सड़क में उतरने लगे हैं।
इन राज्यों में शुरू हुए विरोध प्रदर्शन —
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड आदि में इसके विरोध में जबरदस्त प्रदर्शन शुरू हो चुके हैं। कई राज्यों में हिंसक झड़पों के भी समाचार हैं।
क्या है विरोध का कारण —
आपको बता दें कि देश के तमाम राज्यों से बड़ी संख्या में युवा सेना में भर्ती होने के लिए संघर्ष करते आये हैं। आंकड़े बताते हैं कि सबसे अधिक युवा सेना में बिहार से जाते हैं। उत्तराखंड राज्य में भी सेना में भर्ती होने वाले युवाओं की बहुत बड़ी तादात है। अग्निपथ योजना के विरोध का सबसे बड़ा जो कारण है वह यह है कि पहले तो 02 साल से सेना की भर्ती नहीं हुई। फिजिकल दे चुके युवा रिजल्ट का इंतजार कर रहे थे, लेकिन बिना युवाओं को विश्वास में लिए यह योजना लागू कर दी गई।
विरोध का दूसरा सबसे अहम कारण यह है कि युवा यह पूछ रहा है कि सेना में सिर्फ 04 साल की नौकरी करने के बाद वह क्या करेंगे ? युवाओं का कहना है कि इन चार सालों की सेवा के दौरान यदि युद्ध छिड़ जाता है तो क्या होगा ? एक तो अस्थायी सेवा वहीं जान का खतरा।
हालांकि केंद्र सरकार व भाजपा शासित राज्य सरकारें कह रही हैं कि विभिन्न मंत्रालयों, अर्धसैनिक बलों में अग्निवीरों को प्राथमिकता मिलेगी, लेकिन युवा इस उत्तर से कतई संतुष्ट नहीं दिख रहे। उनका यही कहना है कि 04 साल बाद उनका भविष्य क्या होगा ? उनका कहना है कि अग्निपथ स्कीम में चार साल के कॉन्ट्रैक्ट में सेना में भर्ती किया जाएगा। फिर compulsory retirement दे दिया जायेगा और ग्रैजुटी या पेंशन जैसे लाभ भी नहीं मिलेंगे, जो उन्हें बहुत चुभ रहे हैं।
उत्तराखंड में भी विरोध प्रदर्शन
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में आज बड़ा प्रदर्शन हुा है। कल अल्मोड़ा में भी इस योजना के खिलाफ प्रदर्शन होने जा रहा है। विरोध कर रहे युवाओं का कहना है कि 02 सालों से सेना की भर्ती रुकी हुई है। उन्होंने भर्ती के लिए जरूरी फिजिकल टेस्ट भी पास कर लिया है, बावजूद इसके उनको नौकरी नहीं मिल रही है। उनका यही कहना है कि सेना में भर्ती के नए नियम हताश कर रहे हैं।
03 सालों से तक रहे सेना की राह, अब यह निर्णय
यही नहीं, कई ऐसे युवा भी हैं जो पिछले 03 सालों से सेना में भर्ती होने की राह तक रहे हैं। तब कोरोना की वजह से सेना भर्ती बंद रही। अब बड़ी संख्या में युवा अपनी आयु सीमा भी पूरी कर चुके हैं। युवाओं का विरोध इस बात पर भी है कि अग्निपथ स्कीम में भी सिर्फ 21 साल तक के युवाओं को लिया जाना है। आयु सीमा पार कर चुके हजारों युवा इस योजना में सेना में भर्ती नहीं हो पायेंगे।
प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना है कि वह सेना में जाने के लिए बहुत कड़ी मेहनत करते हैं। इसे चार साल के लिए सीमित करना न्याय संगत नहीं है। युवा यह सवाल भी पूछ रहे हैं कि सिर्फ 03 साल के प्रशिक्षण के बाद वह देश की सुरक्षा कैसे कर सकते हैं?
Bageshwar Breaking: ‘अग्निपथ’ को लेकर युवाओं में सुलगी आक्रोश की चिंगारी
आखिर क्या है अग्निपथ योजना —
यह असल में एक शार्ट टर्म भर्ती स्कीम है, जो देश में पहली बार लागू हुई है। हालांकि चीन व अमेरिका में भी सैन्य भर्ती के नियमों में परिवर्तन हो चुके हैं। भारत सरकार ने भी भर्ती के नियम पहली बार बदले हैं, लेकिन शायद युवा वर्ग को संतुष्ट नहीं कर पा रही है। सरकार की योजना यह है कि इस स्कीम के जरिए प्रति वर्ष 40 से 45 हजार युवाओं को सेना में शामिल करेंगे, जो कि 17 से 21 साल की आयु सीमा के होंगे। भर्तियां Merit and Medical Test के आधार पर होंगी। 04 सालों में छह माह की बेसिक ट्रेनिंग भी मिलेगी। 30 से 40 हजार वेतन व अन्य लाभ भी मिलेंगे। प्रथम वर्ष 30, दूसरे साल 33 हजार, तीसरे साल 36500 और चौथे साल में 40 omg हजार मासिक वेतन मिलेगा। 04 साल पूरे होने के बाद इन सभी अग्निवीरों की सेवा समाप्त हो जाएगी और फिर नई भर्तियां होंगी। सेवा समाप्त होने वाले 25 फीसदी अग्निवीरों को स्थायी काडर में भर्ती किया जाएगा। युवा यह भी पूछ रहे हैं कि 04 साल बाद 25 फीसदी अग्निवीरों को तो कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद स्थायी काडर में शामिल कर लिया जाएगा, लेकिन बाकी 75 फीसदी अग्निवीरों का क्या होगा। इस बारे में सरकार ने कुछ स्पष्ट नहीं किया है।