एक जवान जो शहीद हुआ,
भारत माँ का था मुरीद हुआ,
तिरंगा छाती से चिपकाये,
उसमें ही लिपट घर रसीद हुआ ….
तिरंगे में लिपट ज़ब लाश गयी,
बूढ़ी माँ की सब आस गयी,
धीरे से उठी और पास गयी,
बोली, तुझ पर गर्व है माँ को,
ना सोचना कभी , हो उदास गयी !
और….
मातृभूमि की सेवा से फिर,
आर्यावर्त्त की शान तक
भारत माँ की रक्षा हेतु,
देह के अवसान तक,
उठो चलो अब साथ हमारे,
शहादत से शमशान तक,
हम लड़े हैं और लड़ेंगे,
अपनी अपनी सब जान तक !
सुनो तुम भी…
उन जाँबाजों के फिर शौर्य से,
गौरवान्वित यहां की माटी हुई,
जाँबाजों के ही शौर्य से,
भगवा भगवा सब घाटी हुई !
सुशील रस्तोगी
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किच्छा (ऊ.सिं.नगर)