दीपक पाठक, बागेश्वर
डाक्टर वास्तव में भगवान का ही रूप हैं। कोई माने या नहीं, परंतु एक 76 वर्षीया अम्मा यह बात मानती है। अम्मा कोविड अस्पताल बागेश्वर में इलाज के बाद कोरोना से जंग जीतकर आज घर पहुंच गई। अस्पताल के डाक्टरों व चिकित्सा कर्मियों के मृदुल व्यवहार व मेहनत का अम्मा के दिलो—दिमाग में इतना प्रभाव पड़ा कि वह उनकी प्रशंसा करते नहीं थक रही और उन्हें आशीर्वचन दे रही बल्कि अस्पताल से लौटते वक्त भी कर्मचारियों के सर पर हाथ रख आशीर्वाद देकर और खुश होकर आई।
हुआ यूं कि जिले के विकासखण्ड गरुड़ के लौबांज गांव निवासी 76 वर्षीया वृद्धा पार्वती देवी कोविड संक्रमण की चपेट में आ गई थी।
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जिसे उपचार के लिए बागेश्वर में भर्ती कराया गया। जो अब हास्पिटल में इलाज के बाद तंदरुस्त हो गई और कोरोना से जंग जीतकर आज वह अस्पताल से छुट्टी मिलने पर घर वापस लौट रही थी, तो वह चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों के व्यवहार की प्रशंसा किए नहीं थकी। वृद्धा ने अस्पताल से लौटते वक्त जीभर कर आशीर्वाद प्रदान किया। वह उनसे काफी प्रसन्न नजर आई।
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बागेश्वर जिला चिकित्सालय से इलाज से ठीक होकर जब वह आज अपने घर लौबाज पहुँची, तो घर आकर भी अस्पताल की चर्चा करने लगी। उन्होंने बताया कि कोरोना का इलाज अस्पताल में ही है। किसी को डरना नहीं चाहिए। बताने लगी कि वहां तो डाक्टर व अन्य लोग अच्छे से इलाज कर रहे हैं। यहां तक कि उन्होंने डॉ. अब्बास, डॉ. नसीम, डॉ. तैय्यब, डॉ. सीपी भैसोड़ा का नाम लेते हुए वहां लगे कर्मचारियों के व्यवहार व मेहनत की प्रशंसा की और दीर्घायु की कामना की।
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