ऋषिकेश। उत्तराखंड जल विद्युत निगम ने गंगा नदी पर अनुरक्षण कार्य में लगभग 10,000 घन मीटर पत्थर अवैध उठान से वायर क्रेट वर्क पूरा कर दिया। यह क्षेत्र देहरादून वन प्रभाग और राजाजी टाइगर रिजर्व क्षेत्र के अंतर्गत आता है जहां पर किसी भी तरह की खनन पत्थर चुगान पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है। साथ ही अन्य किसी भी विभाग को अनुरक्षण कार्य करने से पहले निदेशक राजाजी टाइगर रिजर्व स्तर से अनुमति लेनी पड़ती है। जो कि विभिन्न शर्तों के साथ विभाग को दी जाती है। गंगा नदी में धड़ल्ले से चल रहे अवैध पत्थर उठान कार्यों को देख कर गंगा प्रहरी चंद्रमोहन सिंह नेगी के द्वारा सूचना लगाकर जानकारी मांगी गई तो अपीलीय अधिकारी के द्वारा उन्हें सूचना संधारण ना होने की बात कह कर टाल दिया गया।
जिसके बाद अपीलकर्ता ने प्रथम विभागीय अपीलीय अधिकारी को शिकायत दर्ज कराई। सूचना न मिलने पर याचिकाकर्ता के द्वारा राज्य सूचना आयोग में शिकायत दर्ज कराई गई। राज्य सूचना आयोग के निर्देश पर प्रथम अपीलीय अधिकारी के द्वारा गूगल मीट के माध्यम से बैठक कर जो जवाब अपीलकर्ता को भेजे गए वह बेहद चौंकाने वाले हैं। सूचना लगाने के बाद विभाग द्वारा आनन-फानन से विभिन्न तिथियों पर रॉयल्टी जमा कराई गई। वहीं दूसरी ओर जमा कराई गई रॉयल्टी में राजाजी टाइगर रिजर्व के द्वारा दी गई शर्तों का उल्लंघन भी हुआ है। जिसमें स्पष्ट उल्लेख है कि कार्यस्थल से बजरी पत्थर मिट्टी लकड़ी इत्यादि का प्रयोग पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है।
इस संदर्भ में गंगा प्रहरी चंद्रमोहन सिंह नेगी का कहना है कि विभाग और ठेकेदारों के बीच के इस गठजोड़ से जहां एक ओर अवैध खनन हुआ है वहीं दूसरी ओर खनन से गंगा में जैव विविधता को भी भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया की गंगा में जैव विविधता के संरक्षण हेतु विभाग के जवाब से असंतुष्ट हैं तथा इसकी शिकायत राज्य सूचना आयोग में करेंगे।
18-02-2020 लोक सूचना अधिकारी को अपील
16-03-2020 को प्रथम विभागीय अपील
11-06-2020 को सूचना आयोग में शिकायत
07-09-2020 सूचना आयोग के निर्देश पर प्रथम विभागीय अपीलीय अधिकारी को पुनः पत्र
19-09-2020 गूगल मीट पर प्रथम विभागीय अपीलीय अधिकारी के साथ बैठक
आरटीआई लगने के बाद विभाग द्वारा जमा की गई रॉयल्टी की विभिन्न तिथि
04-03-2020 1179634=00
03-07-2020 341617=00
07-07-2020 1258=00
कुल जमा 1522509=00