✒️ कार्तिक अमावस्या तिथि दो दिन पड़ने के कारण रहा कंफ्यूजन
📌 अधिकांश प्रदेशों में 31 अक्टूबर, उत्तराखंड 01 नवंबर को
सीएनई डेस्क। इस साल दीपावली कब है, इसकी हर कहीं चर्चा हो रही है। आम जन काफी संशय में हैं। काफी तर्क—वितर्क के बाद अब यह तय हो चुका है कि पूरे देश में दीपावली इस बार दो दिन मनाई जायेगी। अतएव कहा जा सकता है कि यह मौका बड़े भाग्य से मिला है, जब हिंदुओं के सबसे बड़े पर्व को दो बार मनाये जाने क शुभ अवसर मिलने जा रहा है। अधिकांश लोग अब शुभ मुहूर्त के अनुसार दो दिन दीपावली पूजन करेंगे।
Diwali 2024 Laxmi Puja Muhurat:
काफी दिनों से चर्चा इस बात की है कि दिवाली कब मनाएं कल 31 अक्टूबर या 01 नवंबर को ? पंडितों व ज्योतिषाचार्यों के काफी विचार—विमर्श के बाद अब यह तय हो चुका है कि लक्ष्मी पूजन के लिए शुभ मुहूर्त दोनों दिन मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि दिवाली एक पांच दिवसीय त्योहार होता है। धनतेरस से दिवाली की शुरूआत होती है और भैया दूज पर संपन्न होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष दीपावली का त्योहार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। हालांकि, इस बार कार्तिक अमावस्या तिथि दो दिन पड़ने के कारण दिवाली के त्योहार को लेकर कुछ कंफ्यूजन की स्थिति बनी है कि दिवाली 31 अक्तूबर को मनाई जाय या फिर 01 नवंबर को।
दिपावली 2024 में उदया काल तिथि और मुहूर्त
सनातन धर्म में ज्यादातर पर्व और त्योहार की तिथियों की गणना उदया तिथि के आधार पर की जाती है। बता दे कि सूर्योदय के समय जो तिथि व्याप्त होती है उस उदया तिथि कहा जाता है। यानी कोई तिथि सूर्योदय के समय के बाद 3 प्रहर तक रहती है तो उसे उदया तिथि कहते हैं। कार्तिक अमावस्या की उदया तिथि 01 नवंबर को सूर्योदय के बाद 3 प्रहर तक रहेगी। यानी 01 नवंबर को अमावस्या तिथि में प्रदोष काल भी रहेगा। यानी 01 नवंबर को लक्ष्मी पूजन करना कुछ विद्वान उचित मान रहे हैं। कुछ विद्वानों का मत है कि 01 नवंबर को दिवाली चतुर्दशी से युक्त अमावस्या से ज्यादा अच्छा प्रतिपदा से युक्त अमावस्या होती है। इसलिए 01 नवंबर को दीपावली मनाई जानी चाहिए।
31 अक्तूबर को भी दिवाली
ज्योतिष और धर्म शास्त्रों के अधिकांश विद्वानों का मनाना है कि दिवाली की पूजा और दीपदान हमेशा अमावस्या की रात्रि को ही किया जाता है। इसलिए दिवाली 31 अक्तूबर को मनाया जाना चाहिए न कि 01 नवंबर को। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम का स्वागत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की रात्रि को दीपक जलाकर किया गया था। इसके अलावा मां लक्ष्मी अमावस्या की रात्रि को ही पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं,इसलिए दिवाली 31 अक्तूबर को ही मनाना सही होगा। 01 नवंबर को प्रदोष काल सवा तीन मुहूर्त से आगे नहीं है और 01 नवंबर को न तो निशीथ काल का मुहूर्त मिल रहा है न ही पूरा प्रदोष काल। साथ ही 01 नवंबर को स्थिर लग्न भी नहीं है, इसलिए दिवाली 31 अक्तूबर को मनाना मुहूर्त और शास्त्र सम्मत है।
31 अक्तूबर को पूर्ण प्रदोष काल और पूर्ण अमावस्या की रात्रि मिल रही है। शास्त्रों में दीपावली पर लक्ष्मी पूजन प्रदोष व्यापिनी अमावस्या तिथि और स्थिर लग्न में की जाती है। जबकि 01 नवंबर को प्रदोष काल के शुरू होने के कुछ मिनटों बाद ही अमावस्या तिथि समाप्त हो रही है। इसलिए दिवाली 31 अक्तूबर को लक्ष्मी पूजन करना शास्त्रों के अनुसार श्रेष्ठ रहेगा।
उत्तराखंड में 01 नवंबर को मनाई जायेगी दीपावली
उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल के ज्योतिषाचार्य व पंडितों ने कहा है कि प्रदेशभर में दिवाली 1 नवंबर को मनाई जाएगी। उन्होंने पर्व को लेकर आम बैठक की, जिसमें सर्वसम्मति से एक नवंबर को दिवाली मनाने का फैसला लिया गया है। ऐसा नियम है कि अमावस्या के 12 बजे के बाद लगने पर पर्व अगले दिन मनाया जाता है। चूंकि 31 अक्टूबर को अमावस्या 2 बजकर 56 मिनट पर शुरू होगी, जो 1 तारीख को शाम सवा 6 बजे तक रहेगी। अमावस्या का प्रदोष काल शाम को होगा। प्रदोष काल की अमावस्या साढ़े 6 बजे तक रहेगी। ऐसे में उन्होंने फैसला किया कि दिवाली का पर्व एक नवंबर को ही मनाना चाहिए।
कब करें दीपावली पूजन ?
31 अक्टूबर को मना रहे तो यह है मुहूर्त —
जो लोग 31 अक्टूबर को दिवाली मना रहे हैं उनके लिए प्रदोष काल व वृषभ काल पूजन के दो शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रदोष काल व वृषभ काल में दिवाली पूजन या लक्ष्मी पूजन करना अत्यंत शुभ माना गया है। प्रदोष काल शाम 5 बजकर 36 मिनट से रात 8 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। वृषभ काल शाम 6 बजकर 20 मिनट से रात 8 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। इस दौरान ही लक्ष्मी पूजन किया जा सकेगा। दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के लिए एक अन्य मुहूर्त मिल रहा है। लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 36 मिनट से शाम 6 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। लक्ष्मी पूजन की कुल अवधि 41 मिनट की है।
1 नवंबर को मना रहे तो यह है शुभ मुहूर्त —
जो भक्तगण 01 नवंबर को ही दीपावली का पर्व मना रहे हैं उनके लिए भी लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त निकाला गया है। 01 नवंबर को सायं 06: 16 मिनट तक अमावस्या तिथि रहेगी और सूर्यास्त 05:36 मिनट पर होगा। इस प्रकार देखा जाए तो 01 नवंबर को भी प्रदोष काल और अमावस्या तिथि रहेगी। यानी 01 नबंवर को सायं 05:36 मिनट से लेकर 06:16 मिनट तक लक्ष्मी पूजन के लिए करीब 40 मिनट का ही शुभ मुहूर्त मिलेगा।
संक्षेप में : 31 व 01 नवंबर दोनों दिन इस मुहूर्त पर करें पूजन
31 अक्टूबर, 2024 — शाम 5 बजकर 36 मिनट से शाम 6 बजकर 15 मिनट तक
01 नवंबर, 2024 — सायं 05:36 मिनट से लेकर 06:16 मिनट तक
जान लीजिए यह बात
दीपावली पर्व को लेकर ज्योतिषाचार्य जो भी कहें, लेकिन सनातन धर्म में मान्यता यही है कि ईश्वर किसी मुहूर्त या दान—दक्षिणा के नहीं, बल्कि भाव के भूखे हैं। आप जब भी पूुजन करें। पूर्ण रूप से समर्पित भाव से करे। निश्चित रूप से मां लक्ष्मी की कृपा इस दीपावली आप पर बरसेगी।