✍️ विश्व के शीर्ष दो प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची में शामिल 03 वैज्ञानिकों के नाम
✍️ मेहनत लाई रंग और उत्कृष्ट शोध कार्यों को विश्व स्तर पर मिली मान्यता
✍️ बेहद गर्व की अनुभूति का विषय: सुनील नौटियाल
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: गोविन्द बल्लभ पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी कटारमल—अल्मोड़ा के वैज्ञानिक उत्कृष्ट कार्यों के बल पर विश्व पटल पर धाक जमा रहे हैं। इस बात का ताजा उदाहरण बने हैं— संस्थान के पूर्व निदेशक स्व. डा. आरएस रावल, वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. आईडी भट्ट तथा पूर्व शोध छात्र/वैज्ञानिक डा. तरुण बेलवाल। स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय कैलीफोर्निया, अमेरिका द्वारा विश्व के शीर्ष दो प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची में पर्यावरण संस्थान के इन तीन वैज्ञानिकों का नाम शामिल किया गया है। जीबी पंत राष्ट्रीय पर्यावरण संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील नौटियाल समेत संस्थान परिवार ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए वैज्ञानिकों एवं परिजनों को शुभकामनाएं प्रदान की हैं। आगे पढ़िये…क्या कहते हैं निदेशक डा. सुनील नौटियाल
गोविन्द बल्लभ पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी कटारमल—अल्मोड़ा के वर्तमान निदेशक डा. सुनील नौटियाल ने संस्थान के वैज्ञानिकों का विश्व पटल पर नाम कमाने और संस्थान का नाम उंचा करने की मुक्त कंठ से प्रशंसा की है। उन्होंने विश्व के शीर्ष दो प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची में संस्थान के दो वैज्ञानिकों व पूर्व शोध छात्र का नाम शामिल होने पर अत्यंत प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा है कि संस्थान के वैज्ञानिकों के शोध कार्यों का विश्व स्तर पर मंचन एवं मान्यता प्राप्त करना संस्थान एवं व्यक्ति विशेष के लिए गर्व की अनुभूति का विषय है। उन्होंने संस्थान परिवार की ओर से डा. आईडी भट्ट एवं पूर्व शोध छात्र डा. तरुण बेलवाल को उनकी उपलब्धियों के लिए हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित की हैं। साथ ही पूर्व निदेशक स्व. डा. आरएस रावल के परिजनों को शुभकामनाएं भेजी हैं। आगे पढ़िये…
डा. आरएस रावल की उपलब्धियां
संस्थान के पूर्व निदेशक डा. आरएस रावल ने वर्ष 1984-87 में कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल से बीएससी एवं एमएससी की डिग्री प्राप्त की और वर्ष 1991 में पीएचडी पूर्ण की थी। युवा वैज्ञानिक (यंग सांइटिस्ट) रहते डा. रावल पर्यावरण संस्थान कोसी-कटारमल से जुड़े एवं निरंतर सफलता की सीढ़ियां चढ़ते हुए इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संस्थान के निदेशक पद तक पहुंचे। उनके शोध कार्यों को राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित किया जा चुका है। डा. रावल के लगभग 151 शोध पत्र, 10 पुस्तकें प्रकाशित हुईं। सांइस जर्नल में भी उनके शोध पत्र प्रकाशित हैं। डा. रावल ने विभिन्न 19 शोध एवं विकास परियोजनाओं का क्रियान्वयन एवं 10 से अधिक शोधार्थिंयों का पीएचडी निर्देशन सफलतापूर्वक किया। साथ ही उनके द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर पालीनेटर तथा सेक्रेड कैलाश फॉरेस्ट जैसे ट्रांस बाउन्ड्री शोध परियोजनाओं का सफलतम क्रियान्वयन किया गया। जिन्हें विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त हुई है। गहन शोध कार्यों एवं विषय ज्ञान के फलस्वरूप वे जैव-विविधता, उच्च हिमालयी पारिस्थितिक तंत्र, संरक्षण शिक्षा तथा पौधों के प्राकृतिक आवास एवं जलवायु परिवर्तन के विशेषज्ञ के रूप में ख्याति प्राप्त रहे हैं। इससे पूर्व में उन्हें आईसीआईआरएफआई प्लेटिनम जुबली अवार्ड एवं उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकास्ट) देहरादून द्वारा साइंस एंड टेक्नोलाजी एक्सीलेंस पुरस्कार भी मिला। आगे पढ़िये…
डा. आईडी भट्ट की उपलब्धियां
वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. आईडी भट्ट अभी संस्थान में जैव विविधता एवं संरक्षण केंद्र में केंद्र प्रमुख के रुप में कार्यरत हैं। उनके द्वारा हिमालयी क्षेत्रों में विभिन्न विकासात्मक शोध कार्यों का दिशा र्निदेशन किया जा रहा है। उन्होंने पादप कार्यिकी, जैव प्रौद्यौगिकी, पारिस्थितिकी आंकलन इत्यादि विषयों पर शोध कार्य किये हैं। परिणामस्वरुप उन्हें आईपीसीसी वर्किंग ग्रुप द्वितीय में दो अध्यायों का लीड ऑथर, कमीशन मेम्बर आईयूसीएन, सेक्शन प्रेसीडेन्ट, भारतीय विज्ञान कांग्रेस, जीएसपीएस फैलोशिप, फास्ट ट्रैक यंग साइंटिस्ट आदि पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है। उनके द्वारा अब तक 300 से अधिक शोध पत्रों, 10 पुस्तकों का प्रकाशन एवं 20 से अधिक शोध एवं विकास परियोजनाओं का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन किया जा चुका है। उनके कार्यों को नेचर क्लाइटचेन्ज जैसे विश्वविख्यात जनरल में स्थान प्राप्त हुआ है। डा. भट्ट के दिशा निर्देशन में 10 से अधिक शोधार्थियों को डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त हो चुकी है। आगे पढ़िये…
डा. तरुण बेलवाल ने कमाया नाम
डा. तरुण बेलवाल ने संस्थान में अपना शोध कार्य किया है तथा वे वर्तमान में न्यूजर्सी, यूएसए में सात सीएनपी नामक संस्थान में रिसर्च डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। उनका शोध कार्य मुख्य रुप से खाद्य विज्ञान व प्राकृतिक उत्पादों से संबंधित है। जिसके फलस्वरुप वे विश्व स्तर पर स्वास्थ्य और पोषण विज्ञान के क्षेत्र शोध कार्य कर रहे हैं।