अल्मोड़ा। उत्तराखंड क्रांति दल के केन्द्रीय उपाध्यक्ष ब्रह्मानन्द डालाकोटी व जिलाध्यक्ष शिवराज बनौला ने केन्द्र सरकार की नई शिक्षा नीति पर टिप्पणी करते हुए कि इससे कई व्यवहारिक दिक्कतें पैदा हो जाएंगी और गरीब तबके के लोग परेशान हो जाएंगे।
उक्रांद नेताओं ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि नई शिक्षा नीति में स्नातक तक की उपाधि को चार वर्ष का करने से जल्दी से प्रतियोगी परीक्षा पास कर नौकरी की चाहने वाले गरीब प्रतिभाशाली युवाओं को एक वर्ष और इंतजार करना होगा। जिससे सरकार को उच्च शिक्षित बेरोजगारों की संख्या कम दिखाने का अवसर तो मिल जायेगा, वहीं गरीब लोगों को एक वर्ष ज्यादा तथा अधिक धन खर्च स्नातक डिग्री प्राप्त करने के लिए करना होगा। उक्रांद नेताओं ने कहा कि पहले स्नातक होने के लिए छात्रों को 10+2+2 या हायर सेकंडरी पद्वति से 11+3 किसी भी पद्वति से 14 वर्ष लगते थे, जिससे कोई भी छात्र बालिग होते ही 18 वर्ष की उम्र में प्रतियोगी परिक्षाओं में बैठने तथा नौकरी पाने का पात्र हो जाता था। स्नातक की पढ़ाई पहले तीन वर्ष अब चार वर्ष करने से प्रतिभावान बच्चे पहले जितने वर्षो में मास्टर डिग्री ले लेते थे, अब उतने वक्त में केवल स्नातक ही कर पाएंगे। मास्टर डिग्री एक वर्ष करने से भी कई सवाल उठ रहे हैं। प्राथमिक कक्षाओं में स्थानीय भाषा पढ़ाने या भाषा में पाठ्यक्रम पढ़ाने के निर्णय पर उक्रांद नेताओं ने कहा कि हिन्दी भाषी राज्यों को छोड़कर सभी राज्य प्रारंभिक शिक्षा अपनी भाषा में ही दे रहे हैं। मानव संसाधन विकास विभाग से शिक्षा विभाग नाम करने का फायदे भी समझ से परे हैं। उक्रांद नेताओं ने कहा कि देश को ऐसी शिक्षा नीति की आवश्यक्ता है, जिससे झोपड़ी से लेकर महल में रहने वालों समान शिक्षा मिले। गरीबों के लिए डिग्री की पढ़ाई खर्चीली न हो। गरीबों के बच्चे युवावस्था में जाते जाते अपने पांवों में खड़े होने योग्य हो सकें।
अल्मोड़ा : उक्रांद ने नई शिक्षा नीति पर उठाए सवाल, गरीबों का पक्ष रखा
अल्मोड़ा। उत्तराखंड क्रांति दल के केन्द्रीय उपाध्यक्ष ब्रह्मानन्द डालाकोटी व जिलाध्यक्ष शिवराज बनौला ने केन्द्र सरकार की नई शिक्षा नीति पर टिप्पणी करते हुए कि…