👉 अल्मोड़ा डायट में दो दिनी क्रियात्मक शोध कार्यशाला
👉 नई शिक्षा नीति के संदर्भ में हुई चर्चा, शोध पत्र प्रस्तुत
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के शिक्षा संकाय की विभागाध्यक्ष प्रो. भीमा मनराल ने कहा है कि शिक्षकों को छात्रों व अभिभावकों का विश्वास अर्जित कराना होगा, तभी कई समस्याओं का हल निकल सकता है। प्रो. मनराल डायट अल्मोड़ा आयोजित क्रियात्मक शोध कार्यशाला में शिक्षकों को संबोधित कर रही थीं। इस दो दिवसीय कार्यशाला का आज समापन हुआ। जिसमें विषय आधारित कई शोध पत्र प्रस्तुत हुए।
यहां जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में नई शिक्षा नीति पर आधारित दो दिनी क्रियात्मक शोध कार्यशाला आयोजित हुई। जिसमें सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के शिक्षा संकाय की विभागाध्यक्ष प्रो. भीमा मनराल ने कहा कि शिक्षकों को बच्चों के साथ सामंजस्य स्थापित करना चाहिए और गतिविधि आधारित शिक्षण को बढ़ावा देने की जरुरत है। प्रो. मनराल ने कहा कि शिक्षकों को छात्रों तथा अभिभावकों का विश्वास अर्जित करने की आवश्यकता है। तभी कई समस्या का समाधान कर सकते हैं। उन्होंने स्थानीय स्तर पर शिक्षा के संवर्धन के लिए वातावरण बनाने पर जोर दिया। शिक्षा संकाय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. संगीता पवार ने कहा कि राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में क्रियात्मक शोध व्यापक समझ के साथ संपादित किया जा रहा है। डॉ. पवार ने क्रियात्मक शोध की विभिन्न विधाओं की जानकारी शिक्षकों को दी।
डाइट के प्राचार्य गोपाल गिरी गोस्वामी ने शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि क्रियात्मक शोध के माध्यम से कक्षा के ज्ञान को बाहरी ज्ञान से जोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में शिक्षकों को नामांकन व गुणवत्ता के लिए मनोयोग से कार्य करने की आवश्यकता है। जिला संसाधन एकक विभाग के विभागाध्यक्ष जीएस गैड़ा ने कहा कि शिक्षकों को अपने कार्य क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। इन समस्याओं को दूर करने के लिए समुदाय का सहयोग प्राप्त किया जा सकता है। श्री गैड़ा ने कहा कि शिक्षक समाज की रीढ़ हैं और नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की पूर्ण जिम्मेदारी शिक्षकों पर है। शिक्षक विषम भौगोलिक परिस्थितियों में शैक्षिक संवर्धन के लिए आगे आ रहे हैं। मुख्य संदर्भदाता सरिता पांडे ने कहा कि तात्कालिक समस्याओं के समाधान के लिए क्रियात्मक शोध आवश्यक है। डाइट प्रवक्ता डॉ. दीपा जलाल ने शिक्षकों का आह्वान किया गया कि वे शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए दृढ़ संकल्प होकर आगे आए।
इस मौके पर डॉ. पीसी पंत, ललित मोहन पांडे, एमएस भंडारी, दीपक पांडे, महेश चंद्र, गणेश दत्त बुधानी, दीपा बिष्ट, संगीता मेहरा, शिवराज सिंह खनी, ममता, लक्ष्मण सिंह, हयात सिंह गैड़ा, गौरव यादव, विजयलक्ष्मी, प्रतिभा, दीक्षा, दिव्या तिवारी, हरि सिंह, चंपा मेहरा, रंजना, विजय कुमार आदि शिक्षकों व शोधार्थी प्रकाश भट्ट ने अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। एक्शन रिसर्च कार्यशाला में 11 विकासखंडों के 72 शिक्षकों ने हिस्सा लिया। समापन कार्यक्रम का संचालन जीएस गैड़ा तथा डा. सरिता पांडे ने संयुक्त रुप से किया।