विधानसभा के बर्खास्त कर्मचारियों को पुनः बहाल किया जाए : कर्नाटक

✒️ विधानसभा अध्यक्ष पर लगाया भेदभावपूर्ण नीति का आरोप
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा। उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं पूर्व दर्जामंत्री बिट्टू कर्नाटक ने कहा कि उत्तराखंड विधानसभा सभा से बर्खास्त किए गए कार्मिकों के साथ अन्याय किया गया है। पहले तो बिना सो कोज नोटिस के 228 कार्मिकों को बर्खास्त कर दिया गया और फिर कार्मिकों को उच्च न्यायालय से स्टे मिलने के बाद बरगलाया गया।
कर्नाटक ने कहा कि 15 दिनों तक महाधिवक्ता द्वारा दी गई राय को मीडिया से छुपाया गया। तदपश्चात् वर्ष 2001 से वर्ष 2015 तक के कार्मिकों के विषय में विधिक राय के बहाने गुमराह करने का काम किया गया। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष पर आरोप लगाया कि महाधिवक्ता को 8 जनवरी को पत्र लिखा जाता है और 18 जनवरी को कोटद्वार में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा जाता है कि हम सरकार से विधिक राय ले रहे हैं। जबकि 8 जनवरी को जो पत्र विधिक राय हेतु महाधिवक्ता को लिखा गया था उसका जवाब महाधिवक्ता द्वारा 9 जनवरी 2023 को ही दे दिया गया था।
उच्च न्यायालय द्वारा भी यह निर्देशित किया गया था कि वर्ष 2001 से 2022 तक एक ही प्रक्रिया है तो वर्ष 2016 से वर्ष 2022 तक के कार्मिकों को किस आधार पर बर्खास्त किया गया। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी सम्मानित पद पर होने के बावजूद भी दोहरा चरित्र दिखा रही हैं। सभी कार्मिक उत्तराखंड के मूल निवासी हैं। उत्तराखंड के सुदूर पहाड़ी क्षेत्रों से हैं। कर्नाटक ने अपनी बात को रखते हुए कहा कि अध्य्क्ष मैडम सिस्टम को सुधारने की बात करती है। मगर वो खुद एक भेदभावपूर्ण निर्णय करती हैं, जो न्यायोचित नही है।
अगर कार्मिकों को समान न्याय नहीं मिलेगा तो विधानसभा अध्यक्ष के इस भेदभावपूर्ण निर्णय का विरोध पूरे प्रदेश में होगा। जिसकी शुरूआत विधानसभा अध्यक्ष के विधानसभा क्षेत्र कोटद्वार से होगी। उन्होंने कहा कि एक बार विधानसभा अध्यक्ष को पुनर्विचार करके समस्त कर्मचारियों को फिर से बहाल कर देना चाहिए और भविष्य के लिए एक ठोस नीति बनानी चाहिए।