सीएनई रिपोर्टर, पिथौरागढ़
Kumaon Commissioner Deepak Rawat Visit to Adi Kailash and Gaurikund
कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत ने पैदल यात्रा कर आदि कैलाश व गौरी कुण्ड के दर्शन किये। इस दौरान कुमाऊं कमिश्नर वहां की प्राकृतिक आबोहवा देखकर अभिभूत हो गये और उन्होंने कहा कि हर किसी को जीवन में एक बार आदि कैलाश के दर्शन जरूर करने चाहिए।
उन्होंने कहा कि आदि कैलाश धार्मिक पर्यटन में रुचि रखने वालों के लिए स्वर्ग के समान है। समुद्र तल से 6191 मीटर की ऊंचाई पर स्थित आदि कैलाश के लिए कुमाऊं मंडल विकास निगम कैलाश मानसरोवर की तरह ही यात्रा का संचालन करता है। रावत ने कहा कि आदि कैलाश के दर्शन से सुखद अनुभूति होती है। कैलाश की यात्रा पर न जा पाने वाले लोगों को आदि कैलाश की यात्रा अवश्य करनी चाहिए।
इस मौके पर आदि कैलाश के महंत द्वारा बताया गया कि आदि कैलाश को छोटा कैलाश भी कहा जाता है। आदि कैलाश में भी कैलाश के समान ही पर्वत है। मानसरोवर झील की तर्ज में पार्वती सरोवर है। आदि कैलाश के पास गौरीकुंड है। कैलाश मानसरोवर की तरह ही आदि कैलाश की यात्रा भी अति दुर्गम यात्रा मानी जाती है। ज्योलिंगकांग से आदि कैलाश के दर्शन होते हैं। आदि कैलाश से 2 किमी आगे खूबसूरत पार्वती सरोवर है। आदि कैलाश पर्वत की जड़ में गौरीकुंड स्थापित है। पार्वती सरोवर और गौरीकुंड में स्नान का विशेष महत्व बताया जाता है।
ऐसे होती है आदि कैलाश की लंबी यात्रा
आदि कैलाश यात्रा यदि दिल्ली से की जाए तो करीब 16—17 दिन में वहां पहुंचा जाता है। यह एक लंबी यात्रा है। यदि आप दिल्ली से चलें तो काठगोदाम की ट्रेन पकड़ें। यात्री अमूमन उसी दिन अल्मोड़ा में रात्रि विश्राम कर तीसरे रोज यात्रा वाया सेराघाट होते हुए धारचूला के लिए करते हैं। जहां पातालभुवनेश्वर मंदिर के दर्शन कर यात्री विश्राम डीडीहाट में होता है। अगले दिवस यात्री डीडीहाट से धारचूला पहुंचते हैं। यात्रा का धारचूला तक का सफर कुमाऊं मंडल विकास निगम की बस से होता है। इससे आगे का सफर 40 किमी कच्ची सड़क का है। छोटी टैक्सियां लखनपुर तक जाती है। इस बीच तवाघाट, मांगती, गर्भाधार जैसे कई पड़ाव पड़ते हैं। लखनपुर के बाद का यात्रा पैदल ही है। इससे आगे बुद्धि, छियालेक, गुंजी, कुट्टी होते हुए ज्योलिंगकांग पहुंचते हैं। ज्योलिंगकांग से आदि कैलाश के दर्शन होते हैं। आदि कैलाश से 2 किमी आगे खूबसूरत पार्वती सरोवर है, आदि कैलाश पर्वत की जड़ में गौरीकुंड स्थापित है। पार्वती सरोवर और गौरीकुंड में स्नान का विशेष महत्व बताया जाता है। पार्वती सरोवर में यात्रियों द्वारा स्नान किया जाता है। जिसके बाद यात्री गौरी कुंड पहुंचकर वापसी का सफर तय करते हैं। लौटते समय यात्री दल नांभी में होम स्टे कर कालापानी नांभीडांग होते हुए ओम पर्वत के दर्शन हेतु पहुंचता है। फिर इसी रूट से दल वापसी करते हुए धारचूला पहुंचता है।