कांडा। एक तो कोरोना की मार और ऊपर से प्रकृति का कहर। पहाड़ पर रहने वालों की रोजी रोटी पर दोहरी मार पड़ रही है। मानसून की पहली बारिश ने कोरोना से त्रस्त चल रहा पहाड़ का जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। पहाड़ में वैसे ही रोजगार की संभवनाएं बहुत कम हैं। अगर कोई हिम्मत कर आत्म निर्भर बनता है तो उसे कठिन परिश्रम के साथ—साथ प्राकृतिक आपदाओं से भी जूझना पड़ता है। ऐसे ही संकट से दो-चार होना पड़ा कांडा तहसील के नायल बिलाड़ी के रंजीत सिंह कार्की को। रंजीत मैक्स चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। रंजीत ने बताया कि गुरुवार शाम को उन्होंने रोज की तरह घर से कुछ दूरी पर अपनी मैक्स गाड़ी खड़ी की। रात को तेज बारिश से भू-स्खलन हुआ तथा मैक्स को भी चपेट में ले लिया। जिसे गाड़ी को काफी नुकसान पहुंचा है। रंजीत कहते है वैसे ही कोराना ने सारी कमाई चौपट कर रखी है। जैसे तैसे घर चल रहा था। अब ऊपर से ये आपदा। परिवार का गुजर बसर कैसे होगा अब ये चिंता सताने लगी है। पहाड़ का जीवन कैसे पहाड़ सरीखा है इस घटना से अब आप समझ सकते हैं।
बागेश्वर न्यूज : कोरोना गया नहीं आपदा आ गई, रोजी रोटी पर दोहरी मार
कांडा। एक तो कोरोना की मार और ऊपर से प्रकृति का कहर। पहाड़ पर रहने वालों की रोजी रोटी पर दोहरी मार पड़ रही है।…